क्या आप जानते हैं कि आपके thoughts आपकी reality भी प्रभावित कर सकते है? क्या कभी आपने सोचा है कि आपके thoughts आपके जीवन में problems और suffering का source हो सकते हैं? अगर हाँ तो आप सही जगह पर है।
Don't Believe Everything You Think Book Summary in Hindi |
Hello दोस्तो ‘Book Brevity’ में आपका फिर से स्वागत है। आज हम बात करेंगे एक और amazing book के बारे में, जिसका नाम है "Don't Believe Everything You Think", जिसे Joseph Nguyen ने लिखा है। इस book में author ने यह बताया है कि कैसे हमारे thoughts हमें तनाव और suffering से घेर सकते हैं और हम इन्हें कैसे control कर सकते हैं।
क्या आप जानना चाहते हैं कि आप अपनी सोच को कैसे बदल सकते है और अपनी जिंदगी में शान्ति ला सकते हैं? तो इस video को अंत तक देखें, क्योंकि आज हम इस book के हर एक important chapter को detail में समझेंगे। इससे पहले आप इस amazing book में खो जाए, अगर आपने अभी तक हमारे channel को Subscribe नहीं किया है तो तुरंत Subscribe कर दे और video को Like भी कर दे। आइये, शुरू करते है!
Chapter 01: Suffering
Suffering एक ऐसा अनुभव है जिसे हर व्यक्ति अपने जीवन में महसूस करता है। इस chapter में, author बताते हैं कि suffering का मुख्य कारण हमारी सोच और दृष्टिकोण होते हैं। जब हम किसी स्थिति या घटना को negative रूप से देखते हैं, तो वही हमारे लिए suffering का कारण बन जाती है। Example के लिए, किसी important person की death पर हमारा दुख स्वाभाविक है, लेकिन जब हम इस घटना को बार-बार अपने मन में दोहराते हैं, तो यह दुख suffering में change हो जाता है।
Author बताते हैं कि हमारी सोच इस suffering को और बढ़ा सकती है। हम अक्सर अपने thoughts के cycle में फँस जाते हैं और यह भूल जाते हैं कि जीवन में कुछ भी permanent नहीं है। Author हमें यह सिखाते हैं कि हमें अपनी सोच को control करना चाहिए और किसी भी स्थिति को reality की बजाय एक experience के रूप में देखना चाहिए। इस प्रकार, हम अपनी suffering को कम कर सकते हैं और जीवन में शांति प्राप्त कर सकते हैं।
Chapter 2: Root Cause of Suffering
इस Chapter में, author गहराई से समझाते हैं कि suffering का मूल कारण हमारे thought ही होते हैं। जब हम अपने thoughts को सच्चाई मान लेते हैं, तो वे हमें दुखी करते हैं। Example के लिए, अगर हमें लगता है कि हम किसी काम में असफल हो जाएंगे, तो यह thought हमारे अंदर डर और असफलता की भावना पैदा करता है। यह भावना तब तक बनी रहती है जब तक हम इसे challenge नहीं देते।
Author इस chapter में यह भी बताते हैं कि हमारे thought और विश्वास हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते हैं। चाहे वह हमारे रिश्ते हों, हमारे career हों, या हमारे health हो, सब कुछ हमारे thoughts के द्वारा प्रभावित होता है। जब हम अपने thoughts को सच्चाई मान लेते हैं, तो हम उन thoughts के अनुसार कार्य करना शुरू कर देते हैं और यही हमारे लिए suffering का कारण बन जाता है। Author हमें इस बात का एहसास दिलाते हैं कि हमें अपने thoughts को सच्चाई मानने की बजाय उन्हें challenge देनी चाहिए और उन्हें नई दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
Chapter 3: No need to Think
Author बताते हैं कि हमारे जीवन में कई ऐसे moment होते हैं जब सोचने की कोई आवश्यकता नहीं होती। यह thought की power को समझने और उस पर control पाने के बारे में है। हम अक्सर जीवन की साधारण परिस्थितियों में भी सोचने लगते हैं और यह सोच हमारी शांति को भंग कर देती है।
Author इस chapter में बताते हैं कि सोचने की process को control करना कितना important है। Example के लिए, अगर आप किसी व्यक्ति के साथ बातचीत कर रहे हैं और उस व्यक्ति के बारे में negative thought आपके मन में आ रहे हैं, तो आपको उन thoughts को control करना सीखना चाहिए। सोचने की आवश्यकता केवल उन मामलों में होती है जहाँ निर्णय लेने की आवश्यकता हो। बाकी समय में, हमें सोचने की बजाय जीवन को सरलता से जीने का प्रयास करना चाहिए।
Author यह भी बताते हैं कि सोचने की process को बंद करना आसान नहीं है, लेकिन इसे धीरे-धीरे practice के माध्यम से सीखा जा सकता है। Meditation, प्राणायाम, और मानसिक शांति के exercise से हम अपनी सोचने की आदत को control कर सकते हैं और अधिक शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
Chapter 4: Thought verses Thinking
इस chapter में, author thought और thinking के बीच के महत्वपूर्ण अंतर को स्पष्ट करते हैं। Thought स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होते हैं और हम उन्हें control नहीं कर सकते, जबकि thinking एक active process है जो हमारे control में होती है।
Author बताते हैं कि जब कोई thought हमारे मन में आता है, तो वह हमारी mindset प्रक्रियाओं का एक परिणाम होता है। यह thought हमारे पिछले अनुभवों, यादों, और धारणाओं का mixture होता है। Example के लिए, अगर हम किसी विशेष स्थान पर जाते हैं जहाँ हमने पहले खुशी का अनुभव किया था, तो उस स्थान पर फिर से जाने पर हमें खुशी के thought आते हैं।
दूसरी ओर, thinking एक ऐसा कार्य है जिसे हम जानबूझकर करते हैं। हम किसी समस्या को हल करने के लिए सोचते हैं, किसी निर्णय को लेने के लिए सोचते हैं, या किसी योजना को बनाने के लिए सोचते हैं। thinking की process में हम अपने thoughts को analyse करते हैं और उनके आधार पर निर्णय लेते हैं।
Author इस chapter में बताते हैं कि हमें thoughts और thinking के बीच के अंतर को समझना चाहिए। जब हम इस अंतर को समझते हैं, तो हम अपने thoughts को control कर सकते हैं और उन्हें हमारे जीवन में शांति और संतोष लाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
Chapter 5: Impact of Thinking
इस chapter में, author सोच के प्रभावों के बारे में चर्चा करते हैं। हमारी सोच का हमारे जीवन के हर पहलू पर गहरा प्रभाव पड़ता है। सोच न केवल हमारे mental और emotional health को प्रभावित करती है, बल्कि इसका प्रभाव हमारे physical health पर भी पड़ता है।
Author बताते हैं कि negative सोच हमारे मन में तनाव और चिंता उत्पन्न करती है, जो हमारे physical health को नुकसान पहुंचा सकती है। Example के लिए, अगर हम किसी चीज के बारे में बार-बार सोचते हैं और उसे लेकर चिंता करते हैं, तो यह चिंता हमारे शरीर में तनाव hormone का level बढ़ा सकती है। यह तनाव हमारे Heart, Brain, और Immune system पर negative प्रभाव डालता है।
दूसरी ओर, सकारात्मक सोच हमारे mental और physical health के लिए लाभकारी होती है। जब हम सकारात्मक सोचते हैं, तो हम जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं। Author इस chapter में बताते हैं कि हमें अपनी सोच को सकारात्मक बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
Author यह भी बताते हैं कि सोच का प्रभाव हमारे रिश्तों और सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है। जब हम नकारात्मक सोचते हैं, तो हम अपने रिश्तों में संदेह, अविश्वास, और असुरक्षा की भावना उत्पन्न करते हैं। इसके विपरीत, सकारात्मक सोच हमारे रिश्तों को मजबूत और स्वस्थ बनाती है।
इस chapter का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपनी सोच को समझदारी से चुनना चाहिए और उसे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
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Chapter 6: How to stop Thinking?
इस chapter में, author बताते हैं कि अनावश्यक सोच को कैसे बंद किया जा सकता है। वे बताते हैं कि जब हम अनावश्यक सोच में फँस जाते हैं, तो यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
Author इस chapter में विभिन्न तकनीकों और ध्यान के माध्यम से सोच को control करने के उपाय बताते हैं। वे बताते हैं कि meditation, प्राणायाम, और मानसिक शांति के practice से हम अपनी सोचने की आदत को control कर सकते हैं। Meditation का exercise करने से हमारे मन में आने वाले thoughts को हम पहचान सकते हैं और उन्हें control कर सकते हैं।
Author बताते हैं कि हमें सोच को बंद करने के लिए अपने ध्यान को present moment पर focus करना चाहिए। जब हम present में जीने का practice करते हैं, तो हम अनावश्यक सोच से बच सकते हैं। यह chapter हमें सिखाता है कि हमें अपने thoughts को कैसे शांत करना चाहिए और अपने मन में शांति कैसे स्थापित करनी चाहिए।
Author यह भी बताते हैं कि हमें सोच को बंद करने के लिए regular exercise की आवश्यकता होती है। यह एक process है जिसे समय के साथ develop किया जा सकता है। जब हम नियमित रूप से meditation और pranayama का exercise करते हैं, तो हम अपने मन को शांत कर सकते हैं और अनावश्यक सोच को रोक सकते हैं।
Chapter 7: Can we live without Thinking?
इस chapter में, Joseph Nguyen एक गहन प्रश्न उठाते है - क्या हम सच में बिना सोचे जी सकते हैं? वह कहते हैं कि सोच हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन क्या यह हमेशा आवश्यक है? Author का तर्क है कि सोचने की process का मुख्य उद्देश्य हमारे अस्तित्व को बनाए रखना और जीवन की समस्याओं का समाधान करना है, लेकिन अगर हम हर समय सोचते रहते हैं, तो यह हमारे mental और physical health पर negative प्रभाव डाल सकता है।
Nguyen बताते हैं कि जब हम हर छोटी-बड़ी चीज़ के बारे में सोचते हैं, तो यह हमें थका देता है और हमारी शांति छीन लेता है। हमारे brain को भी आराम की आवश्यकता होती है, और अगर हम उसे लगातार काम में लगाए रखते हैं, तो यह तनाव और चिंता का कारण बन सकता है। इसी के साथ, author हमें सोचने की प्रक्रिया को पहचानने और उसे control करने की सलाह देते हैं।
Author का मानना है कि कुछ क्षण ऐसे भी होते हैं जब हमें सोचने की कोई आवश्यकता नहीं होती। जैसे कि जब हम प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले रहे हों, किसी प्रियजन के साथ समय बिता रहे हों, या कोई creative कार्य कर रहे हों। ऐसे समय में सोचने की बजाय हमें अपने अनुभव का आनंद लेना चाहिए और उसे पूरी तरह से महसूस करना चाहिए।
इस chapter का message यह है कि हमें सोचने और जीने के बीच balance बनाना चाहिए। सोच महत्वपूर्ण है, लेकिन सोचने की आवश्यकता हमेशा नहीं होती। जब हम जीवन के उन क्षणों में पूरी तरह से उपस्थित होते हैं, तो हम सच्ची शांति और खुशी का अनुभव कर सकते हैं।
Chapter 8: Nothing is either Good or Bad
इस chapter में, author यह समझाते हैं कि किसी भी चीज़ को अच्छा या बुरा मानना केवल हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। वे Shakespeare के एक उद्धरण का उल्लेख करते हैं: "कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता, केवल हमारा thought उसे ऐसा बनाता है।" इस कथन के माध्यम से, Nguyen यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारी सोच और दृष्टिकोण किसी भी अनुभव की गुणवत्ता को निर्धारित करते हैं।
Author बताते हैं कि एक ही घटना को दो अलग-अलग व्यक्ति अलग अलग तरीकों से देख सकते हैं। Example के लिए, बारिश किसी के लिए आनंद का कारण हो सकती है, जबकि किसी और के लिए यह परेशानी का स्रोत हो सकती है। यह अंतर केवल हमारे दृष्टिकोण और सोच के कारण उत्पन्न होता है।
Nguyen हमें यह सिखाते हैं कि हमें किसी भी घटना या अनुभव को निष्पक्ष रूप से देखना चाहिए और उसे अच्छा या बुरा मानने की बजाय उसे सिर्फ एक अनुभव के रूप में स्वीकार करना चाहिए। यह दृष्टिकोण हमें जीवन में अधिक संतुलित और शांतिपूर्ण बनाता है।
Author यह भी बताते हैं कि जब हम चीजों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं, तो हम जीवन में अधिक खुश और संतुष्ट रहते हैं। यह chapter हमें यह सिखाता है कि जीवन की घटनाओं को केवल अनुभव के रूप में देखने से हम दुख और suffering से बच सकते हैं और जीवन में शांति और संतोष पा सकते हैं।
Chapter 9: Potential Obstacles
इस chapter में, author उन बाधाओं और चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हैं जो हमें अपने आत्म-विकास और सोचने की प्रक्रिया को control करने के प्रयास में मिल सकती हैं। सबसे पहले, वे बताते हैं कि समाज और संस्कृति हमें लगातार सोचने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारी शिक्षा, नौकरी, और सामाजिक परिवेश हमें हर समय विचारशील और जागरूक रहने के लिए मजबूर करते हैं। ऐसे में, बिना सोचे जीने का thought एक चुनौती बन जाता है।
Author यह भी बताते हैं कि हमारी आदतें और मानसिक pattern भी एक बड़ी बाधा हो सकती हैं। जब हम लंबे समय से एक ही तरीके से सोचते और काम करते आ रहे होते हैं, तो उस सोच से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। हमें अपनी पुरानी आदतों को बदलने और नई सोच विकसित करने में समय और धैर्य की आवश्यकता होती है।
इस chapter में author यह भी बताते हैं कि बाहरी परिस्थितियाँ और अन्य लोग भी हमारी सोच को प्रभावित कर सकते हैं। हमें अपने thoughts को control करने के लिए बाहरी प्रभावों से खुद को सुरक्षित रखना चाहिए। Example के लिए, नकारात्मक लोगों और परिस्थितियों से दूरी बनाना, सकारात्मक सोच को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
Nguyen हमें बताते हैं कि आत्म-विकास की यात्रा में इन बाधाओं का सामना करना सामान्य है, लेकिन हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। यह chapter हमें इस बात की तैयारी करने के लिए प्रेरित करता है कि जब हम अपनी सोच को बदलने का प्रयास करेंगे, तो हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उन चुनौतियों का सामना करना ही हमारे विकास का हिस्सा है।
Conclusion:
Thank you! दोस्तो, I hope आपको यह video पसंद आई हो। I hope आप इस book के सभी गुणों को अपनाकर अपनी life को और भी बेहतर जी पाएंगे। आप इस book को order कर के और भी detail में पढ़ सकते हैं। इस book का Amazon link discription में दिया गया है। अगर आपने अभी तक हमारे channel को Subscribe नहीं किया है तो तुरंत channel को Subscribe, video को Like और Comment भी कर दे, इससे हमारा motivation बढ़ता हैं। आप हमारे website को visit कर सकते हैं, जहा हम अलग अलग book के summary publish करते हैं। अगर आपको लगता हैं यह video दूसरे को भी help कर सकती है, तो सब के साथ इसे Share भी करे। जल्दी मिलेंगे और भी बेहतर video के साथ।
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