The Power of Now by Eckhart Tolle Book Summary in Hindi |
Chapter 1: तुम अपने मन नहीं हो
इस chapter में Eckhart Tolle हमें बताते हैं कि हमारी सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि हम अपने मन को ही अपनी पहचान मान लेते हैं। हम सोचते हैं कि हमारे विचार, हमारी भावनाएं और हमारी मान्यताएं ही हमारी असली पहचान हैं। लेकिन सच्चाई इससे बहुत अलग है।
Tolle कहते हैं कि हमारा मन एक औजार की तरह है। यह हमारे लिए सोचता है, विश्लेषण करता है, और समस्याओं का समाधान ढूंढता है। लेकिन जब हम अपने मन से पूरी तरह से जुड़ जाते हैं और उसे ही अपनी पहचान मान लेते हैं, तब समस्याएं शुरू होती हैं। मन की प्रकृति ऐसी है कि यह हमेशा विचारों में उलझा रहता है, अतीत की यादों में खोया रहता है या भविष्य की चिंताओं में डूबा रहता है। इस प्रकार, हम वर्तमान क्षण से कट जाते हैं और जीवन का सच्चा आनंद नहीं ले पाते।
Tolle हमें सिखाते हैं कि हमें अपने विचारों का पर्यवेक्षक बनना सीखना चाहिए। इसका मतलब यह है कि जब भी हमारे मन में कोई विचार आता है, हमें उसे बिना किसी निर्णय के देखना चाहिए। हमें अपने विचारों को केवल देखना है, उनमें खोना नहीं है। जब हम यह करते हैं, तो हम समझ पाते हैं कि हम अपने विचारों से परे हैं। हम एक गहरी चेतना हैं जो अपने विचारों को देख सकती है, परख सकती है।
इस chapter में एक महत्वपूर्ण exercise बताया गया है जिसे 'mindfulness' कहते हैं। Mindfulness का मतलब है कि हम जो भी कर रहे हैं, उसे पूरी तरह से ध्यान देकर करें। चाहे हम खाना खा रहे हों, चल रहे हों, या काम कर रहे हों, हमें हर क्रिया को पूरी सजगता से करना चाहिए। इससे हमारा मन वर्तमान क्षण में आता है और हम सच्ची शांति का अनुभव कर सकते हैं।
Tolle बताते हैं कि जब हम अपने मन से पूरी तरह अलग हो जाते हैं और अपने सच्चे स्व को पहचान लेते हैं, तब हमें असली आजादी का अनुभव होता है। यह आजादी हमारे अंदर एक गहरी शांति और स्थिरता लाती है। हमें यह समझना होगा कि हम अपने विचार नहीं हैं, हम अपने मन नहीं हैं। हम एक असीमित चेतना हैं, जो हमेशा वर्तमान क्षण में है।
Chapter 2: चेतना का शक्ति क्षेत्र
इस chapter में Tolle हमें बताते हैं कि हमारी सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है हमारी चेतना की शक्ति। चेतना हमारी आंतरिक शक्ति है जो हमें अपने जीवन की दिशा में आगे बढ़ने की सारी ताक़त प्रदान करती है।
Tolle कहते हैं कि हमें अपनी चेतना को समझने की आवश्यकता है। बहुत से लोग होते हैं जो अपनी चेतना को नहीं समझते और इसलिए वे अपने जीवन में सत्यियों के पिछे भागते रहते हैं। चेतना का शक्ति क्षेत्र हमारे अंदर ही होता है, हमें सिर्फ उसे पहचानने की आवश्यकता है।
इस chapter में Tolle हमें एक महत्वपूर्ण साधना सिखाते हैं जिसे "अंतर्दृष्टि" कहा जाता है। अंतर्दृष्टि का मतलब है हमारी आंतरिक दृष्टि, जो हमें हमारे अंदर के सत्य को देखने में मदद करती है। जब हम अंतर्दृष्टि का अभ्यास करते हैं, तो हमें अपने वास्तविक स्वरूप को समझने में सहायता मिलती है और हम अपने जीवन की दिशा में सटीकता से आगे बढ़ सकते हैं।
Tolle कहते हैं कि चेतना का शक्ति क्षेत्र हमारे अंदर विद्यमान है, लेकिन हमें उसे जागृत करने की आवश्यकता है। यह शक्ति हमें हमारे सच्चे स्वरूप को समझने में मदद करती है और हमें अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों की सही दिशा में ले जाती है।
Chapter 3: मन की यात्रा से परे
इस chapter में हमें बताया जाता है कि मन की यात्रा का अर्थ है हमारे मन के अविश्रांत और अस्तित्व से परे होना। मन की यात्रा के दौरान हमारी चेतना हमें हमारे विचारों से अलग करती है और हमें हमारे सच्चे स्वरूप की दिशा में ले जाती है।
Tolle कहते हैं कि हमें मन की यात्रा में परे रहना हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब हम अपने मन के विचारों से परे होते हैं, तो हम अपने जीवन को स्वतंत्रता और आत्मविश्वास से जी सकते हैं।
इस chapter में Tolle हमें एक महत्वपूर्ण सिद्धांत सिखाते हैं जिसे "अनिति" कहा जाता है। अनिति का मतलब है हमारे मन के अविश्रांत और अनन्त स्वरूप का अनुभव करना। जब हम अनिति का अभ्यास करते हैं, तब हम अपने विचारों के बंधनों से मुक्त होते हैं और हमें अपने सच्चे स्वरूप का अनुभव होता है।
Tolle कहते हैं कि मन की यात्रा से परे होना हमें सच्ची आत्म-प्रेम का अनुभव कराता है। जब हम अपने मन के विचारों से परे होते हैं, तब हम अपने आत्मा के साथ एकात्म होते हैं और हमें अपने जीवन में अधिक खुशियाँ और संतोष का अनुभव होता है।
Chapter 4: अवचेतन मन की गहराई
इस chapter में हमें बताया जाता है कि हमारे मन की अवचेतन गहराई में हमारे अनग्रहीत और छिपे विचार और भावनाओं की गहराई होती है। यह अवचेतन मन हमारे जीवन के बहुत सारे पहलूओं पर प्रभाव डालता है और हमें अपने जीवन की दिशा में बाधित करता है।
Tolle कहते हैं कि हमें अपने मन की अवचेतन गहराई को समझने की आवश्यकता है। अवचेतन मन में हमारे विभिन्न तात्त्विक और भावनात्मक प्रक्रियाएँ छिपी होती हैं जो हमारे जीवन को नियंत्रित करती हैं।
इस chapter में Tolle हमें एक महत्वपूर्ण exercise सिखाते हैं जिसे "सचेतनता" कहा जाता है। सचेतनता का मतलब है हमारे अवचेतन मन की गहराई में छिपी भावनाओं और विचारों को समझना और स्वीकार करना। जब हम सचेतनता का exercise करते हैं, तब हम अपने अंतरिक स्वरूप को समझते हैं और हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाते हैं।
Tolle बताते हैं कि अवचेतन मन की गहराई में हमारे विचारों और भावनाओं की संपूर्णता छिपी होती है। इन गहराईयों को समझकर हम अपने मन को नियंत्रित कर सकते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।
Chapter 5: अपने अंतरात्मा की आवाज़ सुनो
इस chapter में हमें बताया जाता है कि हमें अपने अंतरात्मा की आवाज़ को सुनने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। हमारे अंतरात्मा में हमें सही दिशा और निर्देश प्रदान करता है।
Tolle कहते हैं कि हमारे अंतरात्मा की आवाज़ हमें हमारे सच्चे स्वरूप की ओर ले जाती है। यह हमें हमारे जीवन में सही निर्णय और क्रियाओं की दिशा में मदद करता है।
इस chapter में Tolle हमें एक महत्वपूर्ण exercise सिखाते हैं जिसे "ध्यान" कहा जाता है। ध्यान का मतलब है हमें अपने अंतरात्मा की आवाज़ को सुनने के लिए ध्यान देना। ध्यान लगाने से हमारे मन की चिंताएँ और विचार शांत हो जाते हैं और हम अपने अंतरात्मा की आवाज़ को सुन सकते हैं।
Tolle बताते हैं कि ध्यान लगाने से हम अपने अंतरात्मा से जुड़ते हैं और हमें हमारे जीवन में सही दिशा और निर्देश प्राप्त होते हैं। यह हमें अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में मदद करता है और हमें सच्ची संतोष और सुख का अनुभव कराता है।
Chapter 6: जीवन का सत्य
इस chapter में हमें बताया जाता है कि जीवन का सत्य है कि असली खुशियों और संतोष का स्रोत हमारे अंदर ही है। हमारी अंतर्निहित सत्य को समझने की क्षमता हमें सच्ची खुशियों की दिशा में ले जाती है।
Tolle कहते हैं कि असली सत्य वह है जो हमें हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंशों को समझने में मदद करता है। जीवन का सत्य है कि हमारे अंदर ही हमारी सच्ची खुशियों और संतोष का स्रोत है।
इस chapter में Tolle हमें एक महत्वपूर्ण exercise सिखाते हैं जिसे "सच्चाई का संदर्भ" कहा जाता है। सच्चाई का संदर्भ का मतलब है हमें हमारे अंदर की सच्चाई को समझने का प्रयास करना। जब हम सच्चाई का संदर्भ बनाते हैं, तब हम अपने अंतर्निहित सत्य को समझते हैं और हमें अपने जीवन की दिशा में समझदार निर्णय लेने में मदद मिलती है।
Tolle बताते हैं कि जीवन का सत्य है कि हमारे अंदर ही हमारी सच्ची खुशियों और संतोष का स्रोत है। जब हम इस सत्य को समझते हैं, तब हम अपने जीवन की सभी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं और सच्ची खुशियों और संतोष का अनुभव कर सकते हैं।
Chapter 7: संबंधों की प्रबुद्धता
इस chapter में हमें बताया जाता है कि संबंधों की प्रबुद्धता हमारे जीवन में सुख और समृद्धि का महत्वपूर्ण स्रोत है। एक समर्पित और संबंधों की योग्यता वाला व्यक्ति हमें जीवन में खुशियों की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।
Tolle कहते हैं कि संबंधों की प्रबुद्धता हमें दूसरों के साथ संवाद करने और संबंध बनाने की क्षमता प्रदान करती है। संबंधों की प्रबुद्धता का मतलब है हमारे संबंधों में समर्पण, समझौता, और सहयोग की योग्यता होना।
इस chapter में Tolle हमें एक महत्वपूर्ण exercise सिखाते हैं जिसे "संबंधों का मूल्यांकन" कहा जाता है। संबंधों का मूल्यांकन का मतलब है हमें अपने संबंधों की महत्वपूर्णता को समझने का प्रयास करना। जब हम संबंधों का मूल्यांकन करते हैं, तब हम अपने संबंधों को मजबूत और स्थिर बनाने में सक्षम होते हैं।
Tolle बताते हैं कि संबंधों की प्रबुद्धता हमें जीवन में सुख और समृद्धि का अनुभव कराती है। जब हम अपने संबंधों को सही ढंग से देखते हैं और उन्हें समर्पितता और सहयोग से निभाते हैं, तब हम जीवन में अधिक सुख और समृद्धि का अनुभव करते हैं।
Chapter 8: स्वीकृति और समर्पण
इस chapter में हमें बताया जाता है कि स्वीकृति और समर्पण हमारे जीवन में शांति और संतोष के लिए महत्वपूर्ण हैं। जब हम अपने जीवन को स्वीकार करते हैं और समर्पित रूप से जीते हैं, तब हम अपने अंतर्निहित शांति का अनुभव करते हैं।
Tolle कहते हैं कि स्वीकृति और समर्पण हमें हमारे जीवन की प्रत्येक पल को आनंद से स्वीकार करने की क्षमता प्रदान करते हैं। स्वीकृति का मतलब है हमारे जीवन में हमें हमारे अनुभवों को स्वीकार करना। समर्पण का मतलब है हमें हमारे जीवन को पूरी तरह से समर्पित करना।
इस chapter में Tolle हमें एक महत्वपूर्ण exercise सिखाते हैं जिसे "स्वीकृति और समर्पण का अभ्यास" कहा जाता है। स्वीकृति और समर्पण का अभ्यास करने से हम अपने जीवन को पूरी तरह से स्वीकार करते हैं और उसे समर्पित रूप से जीते हैं।
Tolle बताते हैं कि स्वीकृति और समर्पण हमें हमारे जीवन में शांति और संतोष के लिए महत्वपूर्ण हैं। जब हम अपने जीवन को स्वीकार करते हैं और समर्पित रूप से जीते हैं, तब हम अपने अंतर्निहित शांति का अनुभव करते हैं और संतोष से भर जाते हैं।
Chapter 9: वर्तमान क्षण में रहना
इस chapter में हमें बताया जाता है कि जीवन का सच और सुख सिर्फ वर्तमान क्षण में ही होता है। हमें अपने वर्तमान क्षण को पूरी तरह से जीना चाहिए और इसका आनंद लेना चाहिए।
Tolle कहते हैं कि हमें अपने वर्तमान क्षण को जीने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। अकेले वही व्यक्ति सच्चे सुख का अनुभव करता है जो अपने वर्तमान क्षण में स्थिति का सामना करता है।
इस chapter में Tolle हमें एक महत्वपूर्ण exercise सिखाते हैं जिसे "ध्यान में विचरण" कहा जाता है। ध्यान में विचरण का मतलब है हमें वर्तमान क्षण में ध्यान केंद्रित करना और उसका आनंद लेना। जब हम ध्यान में विचरण करते हैं, तब हम अपने जीवन की हर पल का मजा लेते हैं और सच्चे सुख का अनुभव करते हैं।
Tolle बताते हैं कि जीवन का सच और सुख सिर्फ वर्तमान क्षण में ही होता है। जब हम अपने वर्तमान क्षण को पूरी तरह से जीते हैं और उसका आनंद लेते हैं, तब हम सच्चे सुख का अनुभव करते हैं।
Conclusion:
तो दोस्तों, यह था "The Power of Now" का summary। Eckhart Tolle हमें सिखाते हैं कि वर्तमान क्षण में जीना ही सच्चा जीवन है। हमें अपने मन की गुलामी से मुक्त होकर अपने अंतरात्मा की आवाज़ सुननी चाहिए और जीवन के हर पल को पूरी तरह जीना चाहिए। अगर आपको यह video पसंद आया हो, तो कृपया Like करें, Share करें और हमारे channel को Subscribe करें। अगले वीडियो में हम एक और interesting book का summary लेकर आएंगे। धन्यवाद!
👉 Youtube Summary Video
👉 Buy "The Power of Now" Book in Hindi from Amazon
👉 Buy "The Power of Now" Book in English from Amazon