क्या आप अपने पैसे को सही तरीके से investment करना चाहते हैं लेकिन समझ नहीं आ रहा कि शुरुआत कैसे करें? या फिर आप पहले से ही investment कर रहे हैं लेकिन सही दिशा की तलाश में हैं? अगर हाँ, तो ये video खास आपके लिए है। Hello दोस्तो ‘Book Brevity’ में आपका फिर से स्वागत है। आज हम चर्चा करेंगे Vinod Pottayil की amazing book 'What Should Every Indian Know Before Investing' की, जो आपको investment के बारे में जरूरी जानकारी देती है। ये video देखकर आप जान पाएंगे कि investment करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपका पैसा सुरक्षित रहे और बढ़े भी। तो चलिए, शुरुआत करते हैं!
What Should Every Indian Know Before Investing Book Summary in Hindi |
Chapter 1: Financial knowledge का importance
Investment का सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है financial knowledge का होना। बिना financial knowledge के आप कभी भी सही investment नहीं कर सकते। इस book के पहले chapter में author बताते हैं कि financial education क्यों जरूरी है। जैसे कि हमें समझना चाहिए कि पैसा कैसे काम करता है, banking कैसे होती है, और inflation यानी महंगाई का हमारे पैसे पर क्या असर पड़ता है।
जब आप ये समझ जाते हैं कि bank में रखा पैसा धीरे-धीरे अपनी मूल्य खोता है और कैसे investment के जरिए आप अपने पैसे को महंगाई से बचा सकते हैं, तभी आप सही निर्णय ले पाएंगे। Example के लिए, अगर आपको ये पता हो कि bank की fixed deposit में आपका पैसा सुरक्षित तो रहेगा लेकिन महंगाई को हराने के लिए ये पर्याप्त नहीं है, तब आप investment के दूसरे options की तरफ ध्यान देंगे। यही वजह है कि financial knowledge को बढ़ाना जरूरी है।
सोचिए, अगर आपको पता हो कि महंगाई दर 5% है और आपकी bank FD केवल 4% का ब्याज दे रही है, तो आप समझ जाएंगे कि असल में आपका पैसा कम हो रहा है, बढ़ नहीं रहा। इसलिए, investment के लिए financial knowledge को मजबूत करना जरूरी है।
Chapter 2: Risk और Returns का balance
दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है risk और returns का balance। Investment में अक्सर कहा जाता है कि 'जितना बड़ा risk, उतना बड़ा returns।' लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको बिना सोचे-समझे risk लेना चाहिए। Author हमें सिखाते हैं कि कैसे सही risk और returns के बीच balance बनाकर investment किया जा सकता है।
हमें समझना चाहिए कि हर investment में एक risk होता है, चाहे वो stock market हो या real estate। लेकिन सवाल ये है कि आपको कितने risk को उठाने की क्षमता है? ये आपके investment goals और आपकी financial situation पर निर्भर करता है। Example के लिए, अगर आप अपने retirement के लिए investment कर रहे हैं, तो हो सकता है आप कम risk वाले investment चुनें, जैसे कि bonds या mutual funds। वहीं अगर आप कम समय में ज्यादा returns चाहते हैं, तो आप stock market या real estate जैसे risk भरे options की तरफ देख सकते हैं।
अगर आपने एक startup में investment किया और वो सफल रहा, तो आपको बहुत बड़ा returns मिलेगा। लेकिन अगर वो असफल रहा, तो आपका सारा पैसा डूब सकता है। इसलिए, समझदारी से risk और returns के बीच balance बनाना जरूरी है।
Chapter 3: सही investment options का चुनाव
अब जब आप financial knowledge से सशक्त हो गए हैं और risk और returns के बीच balance बना लिया है, तो अगला कदम है सही investment options का चुनाव। Market में बहुत सारे option मौजूद हैं, जैसे कि stocks, mutual funds, bonds, gold, real estate, आदि। लेकिन हर investment option आपके लिए सही नहीं हो सकता।
Author हमें बताते हैं कि हर investment option के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। जैसे कि stock market में आपको बहुत तेज़ी से returns मिल सकता है, लेकिन risk भी उतना ही ज्यादा होता है। वहीं, mutual funds में आपके पैसे का management professionals द्वारा किया जाता है, जिससे risk थोड़ा कम हो जाता है। इसी तरह, real estate में investment करने से आपको fixed returns मिल सकता है, लेकिन इसमें आपको बड़ी रकम की जरूरत होती है और इसे बेचने में समय भी लग सकता है।
इसलिए, आपको अपने investment goals, समय सीमा, और risk उठाने की क्षमता के आधार पर सही investment option चुनना चाहिए। अगर आप शुरुआती हैं, तो mutual funds एक अच्छा option हो सकता है क्योंकि इसमें risk कम होता है और experts द्वारा आपके पैसे का management किया जाता है। वहीं, अगर आप थोड़े अनुभव प्राप्त कर चुके हैं और risk उठाने के लिए तैयार हैं, तो आप stocks में investment कर सकते हैं।
मान लीजिए आप एक mid-term goal के लिए investment कर रहे हैं, जैसे कि बच्चों की पढ़ाई के लिए। ऐसे में आप mutual funds चुन सकते हैं जो आपकी रकम को धीरे-धीरे बढ़ाएंगे और risk भी नियंत्रित रहेगा।
Chapter 4: Long-term का नजरिया
Investment में धैर्य सबसे बड़ा गुण होता है। लम्बे समय तक investment करने से आपको compounding का लाभ मिलता है, जो आपके पैसे को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है। Author कहते हैं कि अक्सर लोग जल्दी पैसे कमाने के चक्कर में investment से जल्दी निकल जाते हैं और इसका नुकसान उठाते हैं।
इस book में बताया गया है कि अगर आप long-term के लिए investment करते हैं, तो market के उतार-चढ़ाव से घबराने की जरूरत नहीं होती। Example के लिए, अगर आपने एक अच्छा stock चुना है और उसे 10-15 साल के लिए रखा है, तो उसमें उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। लेकिन अगर company का fundamental मजबूत है, तो अंत में आपको अच्छा returns मिलेगा।
Author हमें बताते हैं कि जब आप long-term के लिए investment करते हैं, तो आपको सिर्फ शुरुआत में मेहनत करनी होती है। एक बार सही investment चुनने के बाद, बस आपको धैर्य रखना होता है और समय के साथ आपका पैसा बढ़ता चला जाएगा। इसी को compounding का जादू कहते हैं।
अगर आपने 20 साल की उम्र में mutual funds में investment शुरू किया और उसे 60 साल की उम्र तक रखा, तो compounding की वजह से आपका पैसा कई गुना बढ़ सकता है। ये पैसा आपके retirement के लिए एक अच्छा कोष बन सकता है।
Chapter 5: Financial goal निर्धारित करना
कोई भी investment शुरू करने से पहले, आपको अपने financial goals को स्पष्ट रूप से निर्धारित करना चाहिए। ये goal आपको बताएंगे कि आपको कितने पैसे की जरूरत है, कब तक चाहिए, और इसके लिए आप कितने risk उठा सकते हैं।
Author बताते हैं कि financial goal दो प्रकार के होते हैं: Short-term और Long-term। Short-term goals में 1-5 साल के भीतर के goal आते हैं, जैसे कि एक नया phone खरीदना, vacation पर जाना, या बच्चों की school की fees जमा करना। वहीं, long-term goals में retirement, बच्चों की high education, या घर खरीदने जैसे बड़े goal शामिल होते हैं।
जब आपके goal स्पष्ट होते हैं, तो आप सही investment options का चयन कर सकते हैं। Example के लिए, अगर आपका goal short-term है, तो आप ऐसे investment चुनेंगे जो जल्दी returns दें और risk कम हो। वहीं, अगर आपका goal long-term है, तो आप ऐसे investment चुन सकते हैं जो धीरे-धीरे लेकिन fixed returns दें, जैसे कि mutual funds या PPF।
Financial goal निर्धारित करने से न केवल आपका investment दिशा में जाता है, बल्कि आप अपनी प्रगति को भी माप सकते हैं। समय-समय पर अपने goals की समीक्षा करना भी जरूरी है ताकि आप अपने investment को सही दिशा में बनाए रख सकें।
मान लीजिए आपका goal है 5 साल बाद एक car खरीदना। इसके लिए आप एक SIP शुरू कर सकते हैं, जिसमें हर महीने आप एक निश्चित राशि का investment करेंगे। 5 साल के बाद, आप अपने SIP से प्राप्त राशि का उपयोग car खरीदने के लिए कर सकते हैं। यह एक short-term goal का example है। वहीं, अगर आपका goal 20 साल बाद retirement के लिए एक बड़ा कोष जमा करना है, तो आप long-term investment जैसे mutual funds या PPF में investment कर सकते हैं, जो समय के साथ बढ़ता रहेगा।
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Chapter 6: Savings और Investment का balance
Savings और Investment के बीच balance बनाना भी बहुत जरूरी है। अक्सर लोग सोचते हैं कि जितना हो सके, savings कर लें और उसे bank में रख दें। लेकिन author हमें बताते हैं कि सिर्फ savings करने से हमारा पैसा नहीं बढ़ेगा। हमें इसे investment में भी लगाना चाहिए ताकि हमारा पैसा महंगाई को मात दे सके और समय के साथ बढ़ता रहे।
Author कहते हैं कि आपको अपनी income का एक हिस्सा savings के रूप में रखना चाहिए और बाकी का हिस्सा investment में लगाना चाहिए। इसका एक सरल नियम है: '50-30-20' नियम। इस नियम के अनुसार, अपनी income का 50% आवश्यक खर्चों पर, 30% अपनी इच्छाओं पर, और 20% savings और investment के लिए रखें। इससे आपको न केवल अपने भविष्य के लिए savings करने का मौका मिलेगा, बल्कि आप investment के माध्यम से अपने पैसे को बढ़ा भी सकेंगे।
Savings और Investment के बीच balance बनाने से आप भविष्य में आने वाली आर्थिक चुनौतियों का सामना कर सकेंगे और आपके पास हमेशा एक emergency fund भी रहेगा।
मान लीजिए आप हर महीने ₹50,000 कमाते हैं। इस नियम के तहत, आप ₹25,000 अपने जरूरी खर्चों पर, ₹15,000 अपनी इच्छाओं पर, और ₹10,000 savings और investment के लिए रख सकते हैं। ये ₹10,000 आप mutual funds, SIP, या stocks में investment कर सकते हैं ताकि आपका पैसा समय के साथ बढ़ता रहे।
Chapter 7: Various investment options की समझ
अब बात करते हैं various investment options की। Market में कई तरह के investment option उपलब्ध हैं, जैसे कि stocks, mutual funds, gold, real estate, bonds आदि। लेकिन हर option का अपना एक उद्देश्य और risk होता है। इसलिए, ये जरूरी है कि आप इन सभी options को अच्छे से समझें और फिर अपने goals के हिसाब से सही option चुनें।
Stocks में investment करने का मतलब है कि आप किसी company के owner बन जाते हैं। अगर company अच्छा प्रदर्शन करती है, तो आपको अच्छा returns मिलता है। लेकिन अगर company का प्रदर्शन खराब होता है, तो आपका पैसा डूब भी सकता है। Stocks में investment करने से पहले company की financial situation और market की situation का अच्छे से विश्लेषण करना चाहिए।
Mutual funds में investment का मतलब है कि आप अपने पैसे को एक fund में डालते हैं, जिसे एक professional fund manager संभालता है। ये fund manager आपका पैसा अलग-अलग stocks, bonds, और अन्य options में investment करता है। Mutual funds उन लोगों के लिए अच्छा option है जो stocks का risk नहीं लेना चाहते।
Gold में investment भारतीयों के लिए एक परंपरागत तरीका है। Gold को एक सुरक्षित investment माना जाता है, खासकर तब जब market unstable हो। Gold का value समय के साथ बढ़ता है, और इसे आसानी से नकद में बदला जा सकता है।
Real estate यानी जमीन-जायदाद में investment भी एक लोकप्रिय तरीका है। इसमें returns की संभावना अधिक होती है, लेकिन इसमें बड़ी रकम की जरूरत होती है और इसे बेचने में समय भी लग सकता है।
मान लीजिए आप एक stocks में investment करते हैं और company अच्छा प्रदर्शन करती है, तो आपको तेजी से returns मिल सकता है। वहीं, mutual funds में investment करने से आपको एक fixed और कम risk वाला returns मिल सकता है। Gold और real estate जैसे option सुरक्षित होते हैं लेकिन इनमें लंबी अवधि के लिए investment करना पड़ता है।
Chapter 8: Emergency fund का निर्माण
Investment के साथ-साथ एक emergency fund का निर्माण करना भी बहुत जरूरी है। Author बताते हैं कि हमें जीवन में कभी भी किसी अप्रत्याशित स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि नौकरी चली जाना, बीमारी, या कोई अन्य आपदा। ऐसे में आपके पास एक emergency fund होना चाहिए जो कम से कम 6-12 महीने के खर्चों को cover कर सके।
Emergency fund को आप किसी ऐसे account में रखें जहां से इसे आसानी से निकाला जा सके, जैसे कि saving account या liquid fund। ये fund आपको उन परिस्थितियों में आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने का काम करेगा जब आप अचानक investment को नकद में नहीं बदल सकते या market में गिरावट के समय बेचने पर आपको नुकसान हो सकता है।
इस fund को बनाना इसलिए भी जरूरी है ताकि आप बिना किसी दबाव के अपने investment को लंबी अवधि के लिए छोड़ सकें। Emergency fund होने से आप investment में धैर्य बनाए रख सकते हैं और market की instability से घबराए बिना अपने goals की ओर बढ़ सकते हैं।
मान लीजिए आपकी मासिक खर्च ₹40,000 है। ऐसे में आपका emergency fund कम से कम ₹2,40,000 से ₹4,80,000 का होना चाहिए, ताकि अगर कभी कोई emergency situation आए, तो आप बिना अपने investment को छुए इस fund से अपने खर्चों को cover कर सकें।
Chapter 9: Tax planning और investment
Tax planning भी investment का एक अहम हिस्सा है। सही tax planning से आप न केवल अपने investment से अधिकतम लाभ उठा सकते हैं, बल्कि tax में भी savings कर सकते हैं। Author बताते हैं कि हमें investment करते समय tax के प्रभाव को समझना चाहिए और उसी के अनुसार अपने investment को plan करना चाहिए।
Example के लिए, कुछ investment option जैसे PPF, EPF, और ELSS tax छूट प्रदान करते हैं। आप अपनी income के कुछ हिस्से को इन options में investment कर सकते हैं और tax में savings कर सकते हैं। साथ ही, tax छूट का फायदा उठाने के लिए आपको अपनी income और investment की सही योजना बनानी होगी।
इसके अलावा, capital gain tax और dividend income पर लगने वाले tax को भी ध्यान में रखना चाहिए। Investment के लिए tax planning से आप अपने net returns को बढ़ा सकते हैं और सरकार को कम tax देकर अपनी संपत्ति को बढ़ा सकते हैं।
मान लीजिए आप अपनी income का 10% ELSS mutual fund में investment करते हैं। इससे न केवल आपको अच्छे returns मिल सकते हैं, बल्कि tax में भी छूट मिल सकती है। Tax planning से आपको कमाई को सही तरीके से इस्तेमाल करने में मदद मिलती है।
Chapter 10: समय-समय पर investment की समीक्षा
Investment के सफर में समय-समय पर अपने portfolio की समीक्षा करना भी बेहद जरूरी है। Author कहते हैं कि investment का मतलब सिर्फ पैसे लगाकर भूल जाना नहीं है। आपको समय-समय पर अपने investment को देखना चाहिए और उसकी समीक्षा करनी चाहिए कि क्या वह आपकी उम्मीदों पर खरा उतर रहा है या नहीं।
Market की situation बदलती रहती है, और इसी के साथ आपके investment की रणनीति भी बदलनी चाहिए। अगर कोई investment option आपके goals को पूरा नहीं कर पा रहा है, तो आपको उसे बदलने पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा, जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है और आपके financial goal बदलते हैं, आपको अपने portfolio को भी उसी के अनुसार समायोजित करना चाहिए।
Portfolio की समीक्षा से आपको अपने investment को सही दिशा में रखने में मदद मिलेगी और आप समय रहते गलतियों को सुधार सकेंगे। यह आपके investment की सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अगर आपने 5 साल पहले एक stock खरीदा था और वह लगातार गिरावट में है, तो आपको उसकी समीक्षा करनी चाहिए कि क्या वह अब भी आपके investment के उद्देश्यों के अनुरूप है। अगर नहीं, तो आप उसे बेचकर किसी और बेहतर option में investment कर सकते हैं।
Conclusion:
तो दोस्तों, ये थे Vinod Pottayil की book 'What Should Every Indian Know Before Investing' से कुछ important points। इस book ने हमें समझाया कि एक सही investment plan बनाना कितना महत्वपूर्ण है। आप इस book को Amazon से order कर के और भी detail में पढ़ सकते हैं। इस book का link description में दिया गया है। हमें अपनी financial situation का सही valuation करके, goal decide करके, और समय-समय पर अपनी plan की समीक्षा करके ही एक successful investor बन सकते हैं। हर व्यक्ति की financial situation और goals में भिन्नता होती है, इसलिए investment के लिए एक personal plan बनाना आवश्यक है।
इसके अलावा, investment के साथ-साथ एक emergency fund, सही tax planning और नियमित समीक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। ये सभी पहलू मिलकर आपकी investment journey को सुरक्षित और लाभकारी बनाते हैं।
इस book के अंत में author का संदेश यही है कि investment का मतलब केवल पैसे लगाना नहीं है, बल्कि एक सोच-समझकर बनाई गई रणनीति का पालन करना है। आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितने सावधानीपूर्वक और रणनीतिक रूप से अपने investment को manage करते हैं।
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आपके पास अगर इस book या किसी अन्य investment संबंधी विषय पर कोई सवाल हो, तो उसे भी comment में पूछें, हम आपके सवालों का उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे।
अंत में, याद रखें कि investment एक long-term process है और इसमें धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है।
Thank you so much!
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