The Subtle Art of Not Giving a F*ck Book Summary in Hindi

क्या आप अपने जीवन में उन चीजों की परवाह करना चाहते हैं जो वाकई मायने रखती हैं और बाकी चीजों को नज़रअंदाज करना सीखना चाहते हैं? तो यह video आपके लिए है! आज हम बात करेंगे Mark Manson की bestseller किताब 'The Subtle Art of Not Giving a F*ck' के बारे में। यह किताब आपको बताएगी कि कैसे आप अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं, सिर्फ सही चीजों की परवाह करके।

इस video को अंत तक देखें और जानें कि कैसे आप अपने जीवन को बदल सकते हैं। और हां, अगर आपको यह video पसंद आए, तो इसे Like करें, हमारे channel को Subscribe करें और Bell icon को दबाना ना भूलें ताकि आपको हमारे नए video की notification सबसे पहले मिले। चलिए, शुरू करते हैं!

The Subtle Art of Not Giving a F*ck Book Summary in Hindi
The Subtle Art of Not Giving a F*ck Book Summary in Hindi

Chapter 1: Introduction

इस किताब की शुरुआत होती है एक साधारण लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश से: हम सभी के पास सीमित मात्रा में 'F*cks' हैं, यानी कि हम किन चीजों की परवाह करते हैं। Mark Manson बताते हैं कि कैसे हमें अपने 'F*cks' को सही चीजों पर खर्च करना चाहिए और बेकार की चीजों की परवाह नहीं करनी चाहिए। यह किताब एक refreshing दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जो पारंपरिक आत्म-सहायता पुस्तकों के विपरीत है। Manson हमें यह समझाते हैं कि जीवन की सच्ची खुशी और संतुष्टि तब आती है जब हम केवल उन चीजों की परवाह करते हैं जो हमारे लिए वाकई महत्वपूर्ण हैं।

Chapter 2: संघर्ष का दूसरा नाम जिन्दगी है

Mark Manson बताते हैं कि जीवन में संघर्ष और तकलीफें अपरिहार्य हैं। हमें यह समझना होगा कि खुशहाल जीवन का मतलब सभी समस्याओं से बचना नहीं है, बल्कि सही समस्याओं को चुनना और उनका सामना करना है। यह chapter हमें यह सिखाता है कि दर्द और संघर्ष जीवन का हिस्सा हैं और इन्हें स्वीकार करना हमें मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। संघर्ष को अपनाना और उसे विकास के अवसर के रूप में देखना, यही हमें असली खुशी और संतोष दिला सकता है।

हम अक्सर सफलता की कहानियों को देखते हैं और सोचते हैं कि उनके जीवन में सब कुछ आसान रहा होगा, लेकिन सच्चाई यह है कि हर सफल व्यक्ति ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। हमें अपने संघर्षों को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें हमारे विकास का हिस्सा मानना चाहिए।

Chapter 3: सही values के बिना कामयाबी आपको संतुष्ट नहीं कर सकती

इस chapter में, Mark बताते हैं कि सफलता केवल बाहरी उपलब्धियों से नहीं आती। अगर हमारे value सही नहीं हैं, तो हमें कोई भी सफलता संतुष्ट नहीं कर सकती। हमें अपने जीवन में सही values को अपनाना चाहिए ताकि हमारी सफलता हमें सच्ची संतुष्टि दे सके। Manson हमें यह सिखाते हैं कि गलत values के साथ जीवन जीना हमें अंततः असंतुष्टि और निराशा की ओर ले जाता है।

सिर्फ पैसे, शोहरत, और ताकत का पीछा करना हमें लंबे समय तक खुश नहीं रख सकता। हमें यह समझना होगा कि असली खुशी और संतुष्टि तब मिलती है जब हम अपने values के साथ सच्चे रहते हैं और उन चीजों की परवाह करते हैं जो हमारे लिए वास्तव में मायने रखती हैं।

Chapter 4: गलत values को छोड़कर अच्छी 4 values को अपनाने से ही आप खुश रह सकते हैं

Mark Manson ने चार मुख्य values की बात की है जो हमें अपनाने चाहिए: 

  1. सत्य की स्वीकार्यता,
  2. अनिश्चितता की स्वीकार्यता,
  3. विफलता की जिम्मेदारी,
  4. हमारी सीमाओं की स्वीकार्यता। 

यह chapter हमें यह सिखाता है कि गलत values को छोड़कर इन values को अपनाने से ही हम सच्ची खुशी पा सकते हैं। हमें अपने जीवन में इन सकारात्मक values को अपनाना चाहिए ताकि हम मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रह सकें।

सत्य की स्वीकार्यता का मतलब है कि हम अपने जीवन की सच्चाई को स्वीकार करें, चाहे वह कितनी भी कठोर क्यों न हो। अनिश्चितता की स्वीकार्यता हमें यह समझने में मदद करती है कि जीवन में हर चीज निश्चित नहीं हो सकती और हमें अनिश्चितता को अपनाना चाहिए। विफलता की जिम्मेदारी लेना हमें यह सिखाता है कि हमारी गलतियों की जिम्मेदारी लेना हमें मजबूत बनाता है। और हमारी सीमाओं की स्वीकार्यता हमें यह समझने में मदद करती है कि हम सभी की सीमाएं होती हैं और हमें अपने आप को उन्हीं के अनुसार ढालना चाहिए।

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Chapter 5: अपनी जिन्दगी की जिम्मेदारी लेना सीखिए

इस chapter में, Mark Manson बताते हैं कि हमें अपनी समस्याओं की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए, भले ही वो हमारी गलती न हो। जिम्मेदारी लेना हमें हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है और हमें अपनी समस्याओं का सामना करने का साहस देता है। Manson यह सिखाते हैं कि जब हम अपनी जिन्दगी की जिम्मेदारी लेते हैं, तो हम अपने जीवन को नियंत्रित करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।

जब हम अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को दोष देते हैं, तो हम अपनी शक्ति खो देते हैं। लेकिन जब हम अपनी जिम्मेदारी खुद लेते हैं, तो हम अपने जीवन को बदलने की शक्ति प्राप्त करते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि हमारी समस्याओं का समाधान हमारे ही हाथ में है और हमें उनके लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

Chapter 6: हमारी पहचान से हमें बहुत लगाव होता है लेकिन यह लगाव हमारे तकलीफ की वजह भी है

हमारी पहचान और हमारे विश्वास हमें बहुत प्रिय होते हैं, लेकिन कभी-कभी ये ही हमारी तकलीफ का कारण बनते हैं। Mark बताते हैं कि हमें अपनी पहचान और विश्वासों के प्रति लचीला होना चाहिए ताकि हम नए अनुभवों और विचारों को स्वीकार कर सकें।

हमारी पहचान से जुड़ी समस्याएं अक्सर इसलिए होती हैं क्योंकि हम अपने विचारों और विश्वासों में बहुत अड़े रहते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि बदलाव और विकास के लिए हमारी पहचान और विश्वासों में लचीलापन आवश्यक है। जब हम अपनी पहचान को लचीला बनाते हैं, तो हम नए अनुभवों और अवसरों को स्वीकार कर सकते हैं।

Chapter 7: अपनी गलतियों को मान लेने से आप खुद में अच्छे बदलाव ला सकते हैं

अपनी गलतियों को मान लेना और उन्हें स्वीकार करना हमें सच्ची प्रगति की ओर ले जाता है। Mark कहते हैं कि जब हम अपनी गलतियों को मान लेते हैं, तो हम उनमें सुधार करने के लिए तैयार होते हैं और यही हमें एक बेहतर इंसान बनाता है।

अपनी गलतियों को स्वीकार करना आसान नहीं होता, लेकिन यह हमारी प्रगति का सबसे महत्वपूर्ण कदम है। जब हम अपनी गलतियों को मान लेते हैं, तो हम उनसे सीख सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि गलतियाँ करना मानव स्वभाव है, लेकिन उनसे सीखना और सुधार करना हमें महान बनाता है।

Chapter 8: किसी से ज्यादा प्यार करना नुकसानदायक हो सकता है

कभी-कभी किसी से बहुत ज्यादा प्यार करना और उन पर अत्यधिक निर्भर होना नुकसानदायक हो सकता है। Mark बताते हैं कि हमें स्वस्थ संबंध बनाने चाहिए और अपने आत्मसम्मान को बनाए रखना चाहिए, ताकि हम किसी भी रिश्ते में संतुलन बना सकें।

अत्यधिक प्रेम और निर्भरता हमें कमजोर बना सकती है और हमारे आत्मसम्मान को नुकसान पहुंचा सकती है। हमें अपने रिश्तों में संतुलन बनाना चाहिए और अपने आत्मसम्मान को बनाए रखना चाहिए। स्वस्थ रिश्ते हमें खुश और संतुष्ट रखते हैं और हमें एक बेहतर इंसान बनाते हैं।

Chapter 9: मौत का खौफ कभी कभी हम से वो काम करवा देता है जिसे करने से हमें खुशी नहीं मिलती

मौत का डर हमें ऐसे काम करने पर मजबूर कर सकता है जिन्हें करने से हमें खुशी नहीं मिलती। Mark कहते हैं कि हमें मौत के डर

को स्वीकार करना चाहिए और अपने जीवन को सही मायनों में जीना चाहिए, न कि सिर्फ डर के कारण कुछ करने पर मजबूर होना चाहिए।

मौत का खौफ हमें अपने सपनों को पूरा करने से रोक सकता है और हमें उन कामों में उलझा सकता है जो हमें असल में खुशी नहीं देते। हमें यह समझना चाहिए कि मौत जीवन का हिस्सा है और उसे स्वीकार करके ही हम अपनी जिन्दगी को पूरी तरह जी सकते हैं। हमें उन चीजों पर ध्यान देना चाहिए जो हमें खुशी और संतुष्टि देती हैं, न कि सिर्फ डर के कारण किसी भी काम में उलझे रहना चाहिए।


तो दोस्तों, यह थी Mark Manson की किताब 'The Subtle Art of Not Giving a F*ck' की short लेकिन महत्वपूर्ण summary। इस किताब ने हमें सिखाया कि कैसे हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं, केवल सही चीजों की परवाह करके।

याद रखें, आपके पास सीमित 'F*cks' हैं, इसलिए उन्हें सही चीजों पर खर्च करें। अपने जीवन में सही values को अपनाएं और अपने संघर्षों का सामना करें। जब आप अपने जीवन की जिम्मेदारी लेते हैं और अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं, तभी आप सच्ची खुशी और संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं।

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