From Zero to Millionaire by Nicolas Bérubé Book Summary in Hindi

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Hello दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि, ज़रूरत से ज़्यादा काम करके भी आपकी जेब ख़ाली क्यों रहती है? यह एक ऐसा सवाल है जो लाखों लोगों की सोच को हिलाकर रख देता है।

सोचिए... कुछ लोग बिना किसी बड़ी नौकरी या भारी-भरकम बिज़नेस के भी करोड़ों कमा लेते हैं, जबकि कुछ लोग अपनी पूरी ज़िंदगी मेहनत करने के बाद भी सिर्फ़ गुज़ारा ही कर पाते हैं।

क्या यह सिर्फ़ किस्मत का खेल है? या क्या अमीर बनना सिर्फ़ उन खास लोगों के लिए होता है जिन्हें कोई शॉर्टकट पता होता है?

From Zero to Millionaire by Nicolas Bérubé Book Summary in Hindi
From Zero to Millionaire by Nicolas Bérubé Book Summary in Hindi

Nicolas Bérubé अपनी किताब "From Zero to Millionaire” में कहते हैं: नहीं।

यह कहानी उस माइंडसेट की है जो कहता है, "मैं कर सकता हूँ।" यह उन लोगों का सफ़र है जो परिस्थितियों से हार नहीं मानते। जो तकलीफ़ों को झेलते हैं, गिरते हैं, लेकिन फिर उठते हैं और तब तक चलते हैं जब तक उनकी जेब भी भर जाए और ज़िंदगी भी।

कई लोग सोचते हैं कि पैसा कमाना बस एक लक गेम है, लेकिन सच यह है कि अमीरी एक सिस्टम है, एक तरीका है, और सबसे बढ़कर, एक सोच है।

क्या आज की दुनिया में भी कोई इंसान बिल्कुल Zero से शुरुआत करके करोड़पति बन सकता है?

यह किताब एक Reality Check है। यह हमें दिखाती है कि अगर हम आज भी सिर्फ़ Survival Mode में जी रहे हैं, तो हम अपनी असली पोटेंशियल को खो रहे हैं। क्योंकि मिलियनेयर बनना सिर्फ़ बैंक बैलेंस की बात नहीं है, यह उस सोच की बात है जो कहती है, "मैं ज़िंदगी से ज़्यादा लूँगा। मैं उसे अपने शर्तों पर जीऊँगा"।

यह किताब कोई जादू की किताब नहीं है, लेकिन इसमें वह सारे जवाब हैं जो आपके मन में बार-बार आते हैं। जैसे: अगर मेरे पास resources नहीं हैं तो क्या मैं कुछ नहीं कर सकता? शुरुआत कैसे करूँ?

इस ऑडियोबुक संग्रह में, हम सीखेंगे कि कैसे एक छोटा माइंडसेट एक बड़ा Empire बनने की राह रोक देता है। कैसे छोटी-छोटी Financial Habits आपको धीरे-धीरे अमीरी की तरफ़ ले जाती हैं। और कैसे आप भी अपने Passion, Discipline और Patience से वह मुकाम पा सकते हैं, जहाँ पैसा आपकी मुट्ठी में हो, न कि आपकी सोच को कंट्रोल करे।

तो अगर आप भी अपनी ज़िंदगी में कुछ बड़ा करना चाहते हैं, अगर आप चाहते हैं कि लोग आपको सीरियस लें, और आप खुद को गर्व से कह सकें कि, "Yes, I did it", तो यह सफ़र अब शुरू होता है!

क्या आप हदें तोड़ने के लिए तैयार हैं? क्या आप Zero से शुरू करके Millionaire बनने के लिए तैयार हैं?

अब वक़्त है उस माइंडसेट को अपनाने का जो करोड़ों की तरफ़ ले जाता है। क्योंकि आप ज़ीरो से आए हैं, लेकिन आप वहीं रुकने के लिए नहीं बने हैं।


Chapter 1: क्यों आज ही शुरुआत ज़रूरी है

असली बदलाव तब शुरू होता है जब इंसान अपने हालात से पूरी तरह थक जाता है। जब वह खुद से यह सवाल करता है: "क्या यही है मेरी ज़िंदगी?" "क्या मैं सिर्फ़ जीने का नाटक कर रहा हूँ?"।

कई बार, एक छोटी सी घटना—एक झटका, एक दर्द भरा लम्हा—हमारी सोच को जड़ से हिला देता है। और वहीं से जन्म होता है एक नए इंसान का, एक ऐसे इंसान का जो अब पहले जैसा नहीं रहेगा।

लेखक ऐसी ही एक कहानी बताते हैं: एक साधारण आदमी जो गरीब मोहल्ले में पला-बढ़ा। वह रोज़ काम पर जाता, मेहनत करता, पसीना बहाता, लेकिन महीने के आख़िर में भी जेब ख़ाली रहती। सपने अधूरे रह जाते थे।

एक दिन उसके बेटे ने मासूमियत से उससे पूछा, "पापा, क्या हम कभी अमीर बन पाएँगे?"।

वह सवाल सीधा दिल के आर-पार चला गया। उसने उस दिन ठान लिया: "अब नहीं। अब वक़्त बदलना होगा।"।

दोस्तों, बदलाव कभी बाहर से नहीं आता, वह हमेशा भीतर से फूटता है। जब तक इंसान को अपनी वर्तमान स्थिति से नफ़रत नहीं होगी, तब तक वह कुछ बदलेगा ही नहीं।

जो लोग आज करोड़पति हैं, उनकी शुरुआत भी वहीं से हुई जहाँ से आपकी है: ज़ीरो। फ़र्क बस इतना है कि उन्होंने अपने हालात को बहाना नहीं बनाया। उन्होंने उसे ईंधन बना लिया।

जब तक आपकी नींद चैन से आती है, तब तक शायद आपकी ज़िंदगी नहीं बदलेगी। लेकिन जिस दिन आपकी नींद आपकी गरीबी, आपकी असफलता, या अधूरी ज़िंदगी के बोझ की वजह से टूटेगी, समझिए उसी दिन असली जागरूकता शुरू हुई है।

सफ़ल लोग सबसे पहले खुद को पूरी ईमानदारी से फेस करते हैं। वे अपनी कमियों को पहचानते हैं और फिर उन पर काम करते हैं। बहानों का कोई वैल्यू नहीं है। दुनिया सिर्फ़ नतीजे देखती है।

कोई भी बड़ा सपना तभी हक़ीक़त बनता है, जब आपकी भूख बाकी लोगों से अलग हो। जब आप खुद को देखते हुए कहें, "मैं इससे ज़्यादा Deserve करता हूँ"। यही Realization एक ऐसा पॉइंट होता है जहाँ से ज़िंदगी की नई कहानी शुरू होती है।

हर इंसान के अंदर वह चिंगारी होती है जो उसे लाखों में एक बना सकती है। लेकिन ज़्यादातर लोग उस चिंगारी को ज़िंदगी की परेशानियों में बुझा देते हैं। और कुछ लोग, उसे आग बना देते हैं। आग अपने अंदर की सीमाओं को जलाने की! उस Comfort Zone को तोड़ने की, जिसने उन्हें Average बना रखा है।

ज़ीरो से शुरू करना कोई शर्म की बात नहीं है। शर्म की बात है, वहीं रुक जाना।

आपकी कहानी अभी बाक़ी है। और इसकी शुरुआत तब होती है जब आप खुद से यह सच्चाई बोलते हैं: "अब और नहीं। मुझे ज़िंदगी से ज़्यादा चाहिए"।

क्या आप उस पहले कदम के लिए तैयार हैं?


Chapter 2: सोच बदलो, किस्मत बदल जाएगी

ज़िंदगी में सबसे बड़ा फ़र्क आपकी सोच तय करती है। क्योंकि वही सोच आपकी दुनिया बनाती है।

एक ही हालात में, दो लोग अलग-अलग नतीजों तक कैसे पहुँचते हैं? एक हार मान लेता है, दूसरा रास्ता खोज लेता है। फ़र्क सिर्फ़ सोच का होता है। यही तो मिलियनेयर माइंडसेट की असली ताक़त है।

जब इंसान ग़रीबी में पला-बढ़ा हो, तब उसे बार-बार यही सिखाया जाता है: "पैसा बुराई की जड़ है"। "अमीर लोग घमंडी/धोखेबाज होते हैं"। "हमारे बस की बात नहीं"। धीरे-धीरे यही Beliefs हमारे Subconscious में बैठ जाते हैं। और बिना जाने ही, हम अपने आप को छोटे ख्वाबों में क़ैद कर लेते हैं।

लेकिन सच्चाई यह है कि पैसा न अच्छा होता है, न बुरा। वह सिर्फ़ एक ताक़त है, जो आपके हाथ में है। और इस ताक़त को कंट्रोल करने के लिए, आपको मिलियनेयर की तरह सोचना सीखना होगा।

एक आम इंसान की सोच होती है: "कहीं जॉब मिल जाए, बस ज़िंदगी चलती रहे"। एक मिलियनेयर की सोच होती है: "कैसे वैल्यू क्रिएट करूँ जिससे मैं इनकम जनरेट कर सकूँ?"।

आम सोच Comfort Zone में जीती है। जबकि मिलियनेयर माइंडसेट Discomfort को गले लगाता है। क्योंकि वह जानता है कि ग्रोथ हमेशा दर्द के पार होती है।

जब आप बड़े सपने देखते हो, तो लोग आपको पागल कहते हैं। लेकिन जब वह सपने सच हो जाते हैं, तो वही लोग आपसे Inspiration लेने आते हैं।

तो सवाल यह नहीं है कि दुनिया क्या सोचती है। सवाल यह है कि आप अपने बारे में क्या सोचते हैं।

अगर आप खुद को Ordinary समझते हो, तो आपकी ज़िंदगी भी ऑर्डिनरी ही होगी। लेकिन अगर आप मान लेते हो कि आप कुछ Extraordinary कर सकते हो, तो वही सोच आपको एक नई Reality की तरफ़ ले जाएगी।

मिलियनेयर माइंडसेट का मतलब सिर्फ़ पैसा कमाने की सोच नहीं है। यह उस व्यक्ति की सोच है जो प्रॉब्लम में Opportunity ढूँढता है। जो रिस्क लेने से नहीं डरता। जो Long Term सोचता है। और सबसे ज़्यादा खुद में इन्वेस्ट करता है।

क्यों? क्योंकि असली Wealth सिर्फ़ बैंक बैलेंस नहीं होती। असली वेल्थ होती है नॉलेज, डिसिप्लिन, और वो कॉन्फिडेंस जो कहता है, "मैं कुछ भी कर सकता हूँ"।

आपका माइंड एक बगिया की तरह है। आप जो बीज उसमें बोते हो, वही उगते हैं।

अगर आप डर, शक और बहानों के बीज बोते हो, तो ग़रीबी और Regret की फ़सल काटोगे। लेकिन अगर आप विश्वास, एक्शन और Positivity के बीज बोओगे, तो ज़िंदगी में सक्सेस की बारिश ज़रूर होगी।

लेखक कहते हैं: आपकी जिंदगी में जो भी कुछ होता है—आपकी कमाई, खर्च, निवेश—यह सब आपकी सोच का परिणाम है। जब आप पैसे के बारे में नकारात्मक सोचते हैं, तो आप उससे दूर हो जाते हैं। लेकिन जब आप पैसे को समझने लगते हैं, उसे अपनाते हैं, तो पैसा भी आपकी तरफ़ आने लगता है।

आज ही से खुद पर विश्वास करना शुरू कीजिए। अपने दिमाग को सकारात्मक वित्तीय सोच से भरिए। जैसे सफ़ल लोगों की बायोग्राफ़ी पढ़ना, फ़ाइनेंशियल पॉडकास्ट सुनना, और पैसों से जुड़ी सही जानकारी लेना।

याद रखिए, सक्सेस बाहर से नहीं आती, वह अंदर से शुरू होती है। और जिस दिन आपने अपनी सोच बदल ली, उसी दिन आपकी किस्मत भी बदल जाएगी।


Chapter 3: सपनों को रास्ता दो, वह हक़ीक़त बन जाएँगे

सोचिए, आप एक ट्रेन में बैठे हैं, लेकिन न स्टेशन का नाम पता है, न Destination की दिशा। क्या आप कहीं पहुँच पाएँगे? शायद नहीं।

ठीक वैसे ही, अगर आपकी ज़िंदगी में Clear Goals नहीं हैं, तो आप बस चल रहे हैं, बिना समझे कि कहाँ जाना है, क्यों जाना है, और कैसे पहुँचना है।

अक्सर लोग कहते हैं, "मैं अमीर बनना चाहता हूँ"। लेकिन जब उनसे पूछा जाए: "कितना अमीर? कब तक? किस तरीक़े से?" तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता। यहीं पर असली गेम हार जाता है। क्योंकि अस्पष्ट सपने कभी रियल गोल्स नहीं बनते, और बिना रियल गोल्स के कभी रियल सक्सेस नहीं मिलती।

सक्सेसफ़ुल लोग सपने नहीं देखते; वे उन सपनों की Blueprint बनाते हैं। वे जानते हैं कि उन्हें एक साल में क्या चाहिए, 5 साल में कहाँ पहुँचना है, और हर महीने, हर हफ़्ते क्या करना होगा।

उनके गोल्स SMART होते हैं:

  • Specific

  • Measurable

  • Achievable

  • Relevant

  • Time-Bound

क्योंकि Clarity ही कॉन्फ़िडेंस देती है, और कॉन्फ़िडेंस ही एक्शन करवाता है।

जब आप क्लियर गोल्स बनाते हैं, तो आपका माइंड एक GPS की तरह काम करने लगता है। हर Distraction को काटकर, वह उसी डायरेक्शन Direction में काम करता है जहाँ आपने उसे सिग्नल भेजा है।

सवाल उठता है: कैसे बनाएँ ऐसा गोल जो आपको रिच बनने की तरफ़ ले जाए?

पहला कदम: अपने 'क्यों' को समझिए। आप अमीर क्यों बनना चाहते हैं? क्या सिर्फ़ पैसे के लिए, या अपने परिवार को बेहतर लाइफ़ देने के लिए, या किसी सपने को पूरा करने के लिए? जब आपका गोल किसी गहरे इमोशन से जुड़ता है, तो वह सिर्फ़ Wish नहीं रहता। वह आपके अंदर आग लगा देता है।

दूसरा कदम: ड्रीम को छोटे, एक्शननेबल स्टेप्स में डिवाइड कीजिए। मान लीजिए आपका सपना है 5 साल में ₹1 करोड़ कमाना। अब सोचिए कि हर साल, हर महीने, हर हफ़्ते आपको कितना कमाना होगा। उस इनकम को पाने के लिए कौन से Skills सीखने होंगे, क्या Habits डालनी होंगी, और क्या Sacrifices देने होंगे?

ज़्यादातर लोग इसलिए पीछे रह जाते हैं क्योंकि उनके पास न Road Map होता है, न Deadline। वे बस "देखते हैं क्या होता है" माइंडसेट में रहते हैं।

लेकिन मिलियनेयर माइंडसेट कहता है: "जो मैं चाहता हूँ, वह तय मैं करूँगा, और उसके लिए एक्शन भी मैं लूँगा"।

गोल सेटिंग सिर्फ़ लिखने का काम नहीं है। यह रोज़ देखने, महसूस करने और जीने की प्रक्रिया है। हर सुबह अपने गोल्स को पढ़ो, Visualize करो, और खुद से एक ही सवाल पूछो: "क्या मैं आज उस मंज़िल के एक कदम और पास जा रहा हूँ?"।

जब सपनों को नाम, समय और दिशा मिलती है, तभी वे उड़ान भरते हैं। अब आपको तय करना है, क्या आप बस सोचना चाहते हैं, या सच में कुछ हासिल करना चाहते हैं?


Chapter 4: बचत पहले, खर्च बाद में

ज़्यादातर लोग पैसा कमाने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि पैसा बचाना भूल जाते हैं। और फिर महीने के आख़िर में खुद से एक ही सवाल करते हैं: "पता नहीं, पैसे गए कहाँ?"।

असल में, पैसा कमाने से ज़्यादा ज़रूरी होता है पैसा बचाने की कला सीखना। क्योंकि जो पैसा बचाया नहीं गया, वह कमाया ही नहीं गया। अमीर वही बनता है जो पैसे को रोकना जानता है।

और यह तभी मुमकिन है जब आप अपनी इनकम का एक हिस्सा सबसे पहले खुद के लिए बचाते हो, और बाकी से ज़रूरतें पूरी करते हो।

लेकिन अफ़सोस, हमारी Conditioning कुछ और ही सिखाती है: "पहले खर्च करो, और अगर कुछ बच जाए तो बचा लेना"। इसी माइंडसेट की वजह से लाखों लोग पूरी ज़िंदगी सिर्फ़ सर्वाइवल मोड में जीते हैं।

मिलियनेयर माइंडसेट इससे उलटा सोचता है: "पहले खुद को पे करो, फिर बाकी दुनिया को"। इसका मतलब यह नहीं कि आप स्वार्थी बन जाएँ। इसका मतलब है कि आप अपने भविष्य के लिए ज़िम्मेदार बनें।

जब आप हर महीने एक Fixed Amount अपनी सेविंग्स या इन्वेस्टमेंट्स में डालते हैं, तो आप सिर्फ़ पैसा नहीं बचाते। आप Self Discipline बनाते हैं, सेल्फ़ रिस्पेक्ट बनाते हैं। क्योंकि पैसा सिर्फ़ नंबर्स नहीं है, यह आपकी प्राथमिकताओं का Reflection है।

सोचिए अगर आपने हर महीने अपनी इनकम का सिर्फ़ 10% से 20% भी अलग रखना शुरू कर दिया, तो एक साल में आपके पास एक ऐसा बैकअप होगा जो न सिर्फ़ Emergencies में काम आएगा, बल्कि Future Investments का Gateway भी बनेगा।

सेविंग की आदत एक Muscle की तरह होती है। शुरुआत में थोड़ी मुश्किल लगती है, लेकिन Consistency से यह आपकी सबसे बड़ी ताक़त बन जाती है। कोई भी बड़ा Wealth Overnight नहीं बनता। वह हर दिन के Smart Decision से बनता है।

लेखक हमें सलाह देते हैं: छोटी रक़म से शुरू कीजिए—₹500 ही सही, मगर शुरुआत कीजिए। अगर आप ₹100 में से ₹10 नहीं बचा सकते, तो ₹1 लाख में से ₹10,000 भी नहीं बचा पाएँगे। बात पैसों की नहीं, आदत की होती है।

तो अब, जब अगली बार आपकी सैलरी आए या कोई भी इनकम मिले, सबसे पहले एक सिंपल रूल याद रखिए: "Don’t save what is left after spending. Spend what is left after saving." यानी, खर्च करने के बाद जो बचा है, उसे मत बचाओ। बल्कि बचाने के बाद जो बचा है, उसे खर्च करो।

पैसा आपके लिए तभी काम करेगा जब आप उसे सम्मान देना सीखोगे। और सम्मान वहीं से शुरू होता है जब आप अपनी कमाई को Priority देना शुरू करते हो, न कि लग्ज़री Luxury को।

याद रखो, सेविंग सिर्फ़ पैसे की आदत नहीं है, यह माइंडसेट की Richness है। और इसी हैबिट से बनती है वह Financial Base जिस पर करोड़ों की इमारत खड़ी की जाती है।


Chapter 5: समय को काम पर लगाओ

जब हम पैसे बचाने या इन्वेस्ट करने की बात करते हैं, तो ज़्यादातर लोग यही सोचते हैं कि हर महीने ₹500, ₹1000, या ₹2000 बचाने से भला कितना बड़ा फ़ायदा होगा? यही सोच उन्हें किसी भी लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने से रोक देती है।

लेकिन अगर हम Compound Interest की ताक़त को समझ लें, तो शायद हम आज ही पैसे इन्वेस्ट करना शुरू कर दें।

कंपाउंड इंटरेस्ट यानी ब्याज पर ब्याज। यही वह जादू है जो छोटे-छोटे Amounts को समय के साथ एक बहुत बड़ी रक़म में बदल सकता है। Albert Einstein ने इसे दुनिया का आठवाँ अजूबा कहा था।

आइए, इसे एक उदाहरण से समझते हैं, जैसा कि निकोलस बेरूबे की किताब में राज की कहानी से बताया गया है।

मान लो राज हर महीने सिर्फ़ ₹200 इन्वेस्ट करता है। वह यह अमाउंट बिना फ़ेल किए हर महीने इन्वेस्ट करता है, चाहे मार्केट ऊपर जाए या नीचे। वह अपनी आदत नहीं छोड़ता। ₹200 हर महीने कुछ बड़ा अमाउंट नहीं है, है ना? पर यहाँ असली जादू समय और कंपाउंडिंग का है।

अगर राज यह ₹200 प्रति माह अगले 40 सालों तक लगातार इन्वेस्ट करता है, और मान लो उसे एवरेज 7% से 8% Annual Return मिलता है, तो क्या होगा?

सुनकर हैरानी होगी कि सिर्फ़ ₹200 प्रतिमाह इन्वेस्ट करके भी राज करोड़पति बन सकता है। जी हाँ, 40 साल में यह अमाउंट ₹1 करोड़ से भी ज़्यादा तक पहुँच सकता है। यह लगभग 8 से 9 करोड़ रुपए हो सकता है।

यह कैसे पॉसिबल है?

सोचो एक पेड़ है जिसकी शुरुआत एक छोटे से बीज से होती है। पहले साल वह छोटा पौधा बनता है। दूसरे साल थोड़ा और बढ़ता है। हर साल वह पेड़ न सिर्फ़ अपनी हाइट में बढ़ता है, बल्कि उसकी Branches भी नई शाखाएँ निकालती हैं, और उन शाखाओं से और भी शाखाएँ निकलती हैं।

कंपाउंड इंटरेस्ट कुछ इसी तरह काम करता है। हर बार जब आपकी इन्वेस्टमेंट पर ब्याज आता है, वह इंटरेस्ट आपके ओरिजिनल पैसे में जुड़ जाता है। और अगली बार इंटरेस्ट पूरे नए अमाउंट पर कैलकुलेट होता है। मतलब, ब्याज ब्याज पर भी ब्याज कमाता है।

अगर आप हर महीने ₹200 इन्वेस्ट करते हैं, तो 40 साल में आपका Total Principal Amount सिर्फ़ ₹96,000 होगा। ₹96,000 से करोड़पति बनना नामुमकिन सा लगता है, है ना? लेकिन यही कंपाउंडिंग की ताक़त है।

कंपाउंडिंग का सबसे बड़ा दोस्त कौन है? समय। जितनी जल्दी आप शुरू करते हैं, उतना ज़्यादा फ़ायदा होता है।

अगर राज ने 25 की उम्र में शुरू किया होता, और 65 तक इन्वेस्ट करता, तो ₹1 करोड़ का टारगेट आसानी से अचीव कर लेता। लेकिन अगर वही राज 33 की उम्र में शुरू करता, तो उसे उतना ही अमाउंट अचीव करने के लिए ज़्यादा निवेश करना पड़ता।

यही फ़र्क है Early Start और Late Start में।

फाइनेंस की दुनिया में एक बहुत प्रसिद्ध उदाहरण है: "सबसे अच्छा समय पेड़ लगाने के लिए 20 साल पहले था। दूसरा सबसे अच्छा समय अभी है।"।

अगर आपने अभी तक इन्वेस्टमेंट शुरू नहीं किया, तो कोई बात नहीं, लेकिन अभी शुरू कर दो।

कंपाउंडिंग तभी काम करता है जब आप पैसा निकालो नहीं। बीच में अपने इन्वेस्टमेंट्स को Cash करने की कोशिश मत करो। जितना टाइम वह पैसे मार्केट में लगे रहेंगे, उतना ही ज़्यादा फ़ायदा मिलेगा। कंपाउंडिंग मैराथॉन है, स्प्रिंट नहीं।

इसके अलावा, हमें महँगाई का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर आप ₹100 को आज सेव करते हो और उसे बिना इन्वेस्ट किए ऐसे ही रख देते हो, तो 20 साल बाद उसकी वैल्यू बहुत कम हो जाएगी। लेकिन अगर वही ₹100 को इन्वेस्ट करते हो और उसे कंपाउंड होने का टाइम देते हो, तो आप न सिर्फ़ उसकी वैल्यू बचाते हो, बल्कि बढ़ाते भी हो।

इन्वेस्टिंग की शुरुआत छोटे निवेश से करना सबसे स्मार्ट मूव होता है।

याद रखिए, जल्दी शुरू करने वाला ही सबसे आगे निकलता है।


Chapter 6: Income बढ़ाने के रास्ते खोजो

आज की दुनिया में, सिर्फ़ एक इनकम सोर्स पर निर्भर रहना, ठीक वैसा ही है जैसे एक ही पिलर पर पूरा मकान खड़ा करना। एक हल्का झटका भी आए, और सब कुछ गिर जाए।

वह समय अब चला गया जब लोग पूरी ज़िंदगी एक नौकरी करते थे और रिटायरमेंट का इंतज़ार करते थे। अब का दौर है Financial Freedom का।

और वह फ़्रीडम तब आती है जब आपके पास Multiple Income Streams होती हैं।

सोचिए, अगर आपकी प्राइमरी जॉब या बिज़नेस किसी कारण से बंद हो जाए, और आपके पास दूसरा कोई सोर्स न हो, तो आपकी पूरी लाइफ़ की Stability एक झटके में हिल सकती है।

लेकिन अगर आपके पास एक नहीं, दो नहीं, तीन इनकम सोर्सेज हों, तो आप न सिर्फ़ सुरक्षित रहते हैं, बल्कि आपके पास Wealth Create करने की रियल पावर होती है।

मिलियनेयर माइंडसेट वाले लोग जानते हैं कि पैसा एक जगह से नहीं आता; उसे कई दरवाज़ों से बुलाया जाता है।

इनकम स्ट्रीम्स कई तरह की हो सकती हैं:

1. Active Income: जो आप अपनी मेहनत और समय से कमाते हो, जैसे सैलरी, फ़्रीलांसिंग, या कोचिंग।

2. Passive Income: जैसे कि रेंट, डिविडेंड्स, एफ़िलिएट मार्केटिंग, या डिजिटल प्रोडक्ट्स की अर्निंग। यह आपकी नींद में भी आती रहती है।

शुरुआत में सब कुछ बहुत बड़ा करने की ज़रूरत नहीं है। हो सकता है आपका दूसरा सोर्स एक छोटा सा स्किल हो, जैसे कंटेंट राइटिंग, स्टॉक ट्रेडिंग, वीडियो एडिटिंग, या कोई साइड बिज़नेस। मगर जब आप उसे कंसिस्टेंसी से ग्रो करते हो, वह कुछ सालों में आपकी प्राइमरी इनकम को भी पीछे छोड़ सकता है।

हर महीने थोड़ा-थोड़ा एक्स्ट्रा इनकम भी अगर सही जगह इन्वेस्ट किया जाए, तो कंपाउंडिंग के ज़रिए वह आपकी ज़िंदगी बदल सकता है।

आज के डिजिटल दौर में, मल्टीपल इनकम स्ट्रीम्स बनाना पहले से कहीं ज़्यादा आसान है। बस माइंडसेट और Initiative की ज़रूरत है। आपके पास जो भी नॉलेज या टैलेंट है, उसे Monetize करने के कई रास्ते हैं। बस शुरुआत करनी है।

जब आप मल्टीपल इनकम सोर्सेज बना लेते हैं, तो पैसा आपके लिए काम करने लगता है। न कि आप पैसे के पीछे भागते हो।

याद रखो, अमीर वह नहीं होता जो बहुत कमा लेता है। अमीर वह होता है जो कई जगह से कमा लेता है।


Chapter 7: साधारण और स्मार्ट निवेश

पैसा कमाना एक आर्ट है, लेकिन उस पैसे को बढ़ाना, Multiply करना, यही असली वेल्थ क्रिएशन है।

बहुत लोग सारा ज़ोर इनकम पर लगाते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि जब तक पैसा इन्वेस्ट नहीं किया जाएगा, तब तक वह सिर्फ़ मेहनत का रिवॉर्ड रहेगा, कभी फ़्यूचर की फ़्रीडम नहीं बनेगा।

स्मार्ट इन्वेस्टिंग मतलब, सिर्फ़ इनकम Earn नहीं करना, बल्कि उस इनकम को Multiply करना भी सीखना है। मिलियनेयर माइंडसेट कहता है: पैसा कभी ख़ाली न बैठा रहे, उसे काम पर लगाओ।

लेकिन कहाँ इन्वेस्ट करें? कौन सा स्टॉक अभी अंडरवैल्यूड है और कौन सा ओवरवैल्यूड? इन सवालों के जाल में फँसने के बजाय, इन्वेस्टिंग में Simplicity ही सबसे ज़्यादा इफ़ेक्टिव होती है।

जैसे जिम में बॉडी बनाने के लिए एडवांस मशीनों से ज़्यादा ज़रूरी बेसिक पुश-अप्स और स्क्वैट्स होते हैं, वैसे ही इन्वेस्टिंग में भी सिंपल और स्टेडी तरीका लॉन्ग टर्म में सबसे ज़्यादा फ़ायदा देता है।

लेखक Broad Market ETFs जैसे कि S&P 500 इंडेक्स फ़ंड में इन्वेस्ट करने को ज़्यादा समझदारी वाला कदम मानते हैं। ये फ़ंड्स पूरे मार्केट को रिप्रेजेंट करते हैं। जैसे अमेरिका की 500 बड़ी कंपनियों को एक साथ ख़रीदने जैसा। इससे आपको Diversification मिलता है और मार्केट के साथ ग्रो करने का मौका भी।

शेयर पिकिंग की समस्या: Stock Picking करना काफी टाइम कंज्यूमिंग और Risky है। हो सकता है आप एक या दो अच्छे स्टॉक्स चुन लें, लेकिन हो सकता है कुछ चॉइस बहुत ख़राब निकलें।

अगर आप इंडिविजुअल स्टॉक्स चुनते हो, तो आप सिर्फ़ उस कंपनी का ही रिस्क उठा रहे होते हो। अगर कंपनी में कुछ भी ग़लत हो गया—मैनेजमेंट प्रॉब्लम, प्रोडक्ट फ्लॉप, कोई स्कैंडल—तो आपका पैसा डूब सकता है।

लेकिन अगर आप S&P 500 जैसे इंडेक्स फ़ंड में इन्वेस्ट करते हो, तो आपकी इन्वेस्टमेंट 500 कंपनियों में बँटी होती है। एक या दो कंपनी ख़राब भी परफ़ॉर्म करें, तो बाक़ियाँ उस लॉस को कवर कर लेंगी।

सिंप्लिसिटी की ताक़त: सिंपल तरीक़ों को लोग अक्सर कम आँकते हैं, जबकि वही सबसे ज़्यादा पावरफ़ुल होते हैं। Warren Buffett जैसे बड़े इन्वेस्टर्स भी हमेशा कहते हैं कि एक एवरेज इन्वेस्टर के लिए बेस्ट तरीका यही है कि वह एक Low Cost S&P 500 ETF में इन्वेस्ट करे और उसे लंबे समय तक होल्ड करे।

सिंप्लिसिटी का एक और फ़ायदा है: मानसिक शांति। जब आप डेली मार्केट फ़्लक्चुएशंस के पीछे भागते हो, तो इन्वेस्टिंग एक स्ट्रेस बन जाती है। लेकिन जब आप सिंपल और Passive Investing करते हो, तो न ही आपको बार-बार पोर्टफ़ोलियो चेक करना पड़ता है, न ही Market Crash से डर लगता है। आप जानते हो कि आप मार्केट के साथ ग्रो करोगे और समय आपका सबसे बड़ा दोस्त है।

Fees का प्रभाव: जब आप Actively Invest करते हो (खुद स्टॉक पिक करते हो या कोई म्यूच्यूअल फ़ंड लेते हो), तो आपको Higher Fees देनी पड़ती है। यह फ़ीस—चाहे ब्रोकरेज हो, टैक्सेज़ हों, या एडवाइज़री फ़ीस—आपके रिटर्न्स को कम कर देती है।

ETFs का Expense Ratio बहुत कम होता है—कभी-कभी 0.03% जितना लो। यानी ₹1 लाख पर सिर्फ़ ₹30 सालाना फ़ीस। यह अंतर, लंबे समय में, लाखों रुपए का बन जाता है।

इन्वेस्टिंग का अल्टीमेट गोल Wealth Create करना है, न कि Constantly ट्रेड करना।

सिंपल स्ट्रेटेजीज़ आपको आज़ादी देती हैं—समय की भी और मेंटल एनर्जी की भी। और सबसे बड़ी बात, सिंपल स्ट्रेटेजी से Discipline बना रहता है। जितना ज़्यादा आप Complicated करोगे, उतना ही ज़्यादा चांसेज़ हैं कि आप बीच में घबरा जाओगे या ग़लत डिसिज़न ले लोगे।

ब्रॉड मार्केट ईटीएफ में इन्वेस्ट करना एक तरह से Auto Pilot पर चलना है। आप बस मंथली SIP करते रहो और बाक़ी मार्केट पर छोड़ दो। टाइम के साथ आपका पैसा ग्रो करता रहेगा।

याद रखिए, सिंपलीसिटी में ही असली Strength है। यही है असली इन्वेस्टिंग की फ़िलॉसफ़ी: सिंपल रहो, कंसिस्टेंट रहो, और लॉन्ग टर्म सोचो।


Chapter 8: Media और दिखावे से बचो

बहुत से लोग मार्केट से पैसा इसलिए नहीं कमाते क्योंकि उन्होंने ग़लत स्ट्रेटेजी अपनाई। बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने बेसिक इमोशनल और Behavioral Mistakes की।

इन्वेस्टिंग की जर्नी में सबसे पहली और कॉमन मिस्टेक है भावनात्मक फ़ैसले लेना। जब पैसा जुड़ता है, तो इंसान के इमोशंस बहुत स्ट्रॉन्ग हो जाते हैं।

जब मार्केट ऊपर जाता है, तो लोग ओवरली कॉन्फ़िडेंट हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि अब वह वॉरेन बफ़ेट बन चुके हैं। और जब मार्केट नीचे गिरता है, तो Panic शुरू हो जाता है। लोग डर के मारे अपने इन्वेस्टमेंट्स बेच देते हैं और Loss बुक कर लेते हैं।

लेखक एक उदाहरण देते हैं: मान लो मार्केट गिरा, और आपके ₹1 लाख ₹80,000 रह गए। अगर आपने डर में आकर बेच दिया, तो आपका लॉस पक्का हो गया। अगर आप सब्र रखते, तो कुछ ही महीनों बाद मार्केट Recover करके ₹1,20,000 भी हो सकता था। इमोशनल डिसिज़न ने आपको पीछे कर दिया।

मार्केट हमेशा ऊपर-नीचे होता है; यह उसका Nature है। असली पैसा धैर्य में है, न कि पैनिक में।

दूसरी बड़ी ग़लती है Over Trading कई लोग सोचते हैं कि जितनी बार वह ख़रीदेंगे-बेचेंगे, उतना ज़्यादा पैसा कमाएँगे। हर ट्रेड पर कुछ न कुछ कॉस्ट होती है—चाहे वह ब्रोकरेज हो या टैक्सेज़। ज़्यादा ट्रेडिंग का मतलब है ज़्यादा मिस्टेक्स। स्टडीज़ ने दिखाया है कि जो लोग ज़्यादा ट्रेड करते हैं, उनके रिटर्न्स Average से कम होते हैं।

इन्वेस्टिंग एक Marathon है, न कि 100 मीटर की रेस।

मीडिया का डर: आजकल की दुनिया में, हम हर समय Financial News और मार्केट अपडेट्स की भरमार में रहते हैं। लेकिन ये सारी Information हमारी इन्वेस्टिंग जर्नी के लिए मददगार है या यह हमें सिर्फ़ कंफ़्यूज़ और डराने का काम करती है?

बहुत सारे एक्सपर्ट्स मीडिया पर यह आलोचना करते हैं कि फ़ाइनेंशियल न्यूज़ आउटलेट्स का काम इन्वेस्टर्स को डराना और परेशान करना है। वह Sensational Headlines देते हैं, जो अक्सर Worst Case Scenarios को हाईलाइट करते हैं। इससे उनका TRP बढ़ता है, लेकिन इसका प्राइस इन्वेस्टर्स को चुकाना पड़ता है।

मीडिया Short Term Fluctuations को बहुत बड़ा बनाकर पेश करता है। जब मार्केट गिरता है, तो हेडलाइंस होती हैं: "ब्लडबाथ ऑन वॉल स्ट्रीट"। लेकिन जब मार्केट ऊपर जाता है, तो Special Bulletin नहीं आते।

निकोलस बेरूबे के अनुसार, पत्रकारों के पास मार्केट को Predict करने की क्षमता नहीं होती। अगर होती, तो पत्रकार ख़ुद मल्टी-मिलियनेयर होते।

Predictions अक्सर Accurate नहीं होतीं। एक स्टडी ने दिखाया कि 68 एक्सपर्ट्स द्वारा दिए गए 6,584 प्रेडिक्शन्स 47% समय ही सही थे, यानी सिक्के उछालने से भी कम।

इन्वेस्टिंग में जीतने के लिए ज़रूरी नहीं कि आप सबसे तेज़ भागो। ज़रूरी यह है कि आप ग़लतियों से बचो और स्टेडी रहो।

समाधान क्या है?

1. न्यूज़ को सीमित करें: रोज़ाना मार्केट की हर मिनट की अपडेट देखने की ज़रूरत नहीं है।

2. इमोशंस को अलग रखें: पैनिक में नहीं, सोच समझकर निर्णय लें।

3. खुद को एजुकेट करें: मार्केट क्रैश इन्वेस्टिंग का हिस्सा हैं।

4. प्लान पर टिके रहें: अपने गोल्स को याद रखें और उन्हें मीडिया की हर नकारात्मक ख़बर से प्रभावित न होने दें।

याद रखिए, रियल वेल्थ उन लोगों के पास आती है जो मीडिया के डर से नहीं, अपने Vision से चलते हैं।


Chapter 9: गिरो, टूटो, लेकिन रुकना मत

हर वह इंसान जिसने अपनी ज़िंदगी में कुछ बड़ा हासिल किया है, उसने किसी न किसी मोड़ पर बुरी तरह हार मानी थी।

लेकिन हार को हमेशा अंत नहीं होना चाहिए। कभी-कभी, वह शुरुआत होती है। क्योंकि फेलियर कोई ऑपोज़िट नहीं है सक्सेस का, वह उसका हिस्सा है, उसका रास्ता है।

ज़ीरो से मिलियनेयर बनने की जर्नी सीधी-सादी नहीं होती। इसमें रास्ते टेढ़े-मेढ़े भी आते हैं, गड्ढे भी, और अंधेरे मोड़ भी। लेकिन जो रुकते नहीं, वही आख़िर तक पहुँचते हैं।

जब आप पूरी मेहनत से कुछ करते हैं, फिर भी रिज़ल्ट नहीं मिलता, तो लगता है सब कुछ ख़त्म हो गया है। लेकिन वहीं से असली ग्रोथ शुरू होती है। क्योंकि वही फेलियर्स आपको वह सिखाते हैं, जो कोई किताब, कोई सेमिनार या कोई मोटिवेशनल स्पीच नहीं सिखा सकती।

मिलियनेयर माइंडसेट वाला इंसान फेलियर से डरता नहीं। वह उसे Analyze करता है। वह सोचता है: "इस बार क्या ग़लत हुआ? कहाँ Improve किया जा सकता है? क्या मैं दोबारा कोशिश करने के लिए तैयार हूँ?"।

जो एक बार गिर कर उठना सीख लेता है, वह अगली बार और मज़बूती से खड़ा होता है।

फेलियर आपको मज़बूत बनाता है, विनम्र बनाता है, और सबसे बड़ी बात, असली बनाता है। जो लोग फेल होने से डरते हैं, वह कभी कुछ बड़ा करने का रिस्क नहीं लेते।

आपकी फ़ाइनेंशियल जर्नी में भी Fall होना Natural है। लॉस होगा, ग़लत डिसिज़न्स होंगे, कुछ इन्वेस्टमेंट्स डूब जाएँगी। लेकिन यह सब उस बड़े Reward का हिस्सा है जो आगे आपका इंतज़ार कर रहा है।

असली फेलियर तब होता है जब आप हार मान लेते हैं। लेकिन जब आप हारने के बाद भी लड़ते हैं, तब आप Winner बनते हैं।

मिलियनेयर बनने की राह में हर Setback एक सीख है, एक मौक़ा है खुद को और बेहतर बनाने का।

वॉरेन बफ़ेट कहते हैं कि Market Corrections को एक सज़ा की तरह नहीं देखना चाहिए। यह प्रवेश शुल्क है जो हम लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए चुकाते हैं। बिना रिस्क के, कोई रिटर्न नहीं है।

एक दिन ऐसा भी आएगा, जब आपका इन्वेस्टेड पैसा आपको इतना रिटर्न देगा कि आप काम करें या न करें, आपकी लाइफ़स्टाइल बरकरार रहेगी। और वहीं से शुरू होती है फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम।


Chapter 10: अमीरी कोई लक्ष्य नहीं, एक आदत है

लोग अक्सर सोचते हैं कि मिलियनेयर बनने के लिए कोई बड़ा आइडिया चाहिए या कोई जैकपॉट लगना चाहिए। लेकिन सच्चाई यह है कि वेल्थ एक दिन में नहीं बनती, वह रोज़ की छोटी-छोटी आदतों से बनती है।

अमीर लोग अमीर इसलिए नहीं होते क्योंकि उनके पास पैसा है। वे अमीर होते हैं क्योंकि उन्होंने ऐसी हैबिट्स अपनाई हैं जो उन्हें लगातार अमीरी की तरफ़ ले जाती हैं।

एक आम इंसान सुबह उठते ही मोबाइल Scroll करता है, जबकि मिलियनेयर माइंडसेट वाला इंसान दिन की शुरुआत Purpose के साथ करता है—प्लान बनाकर, प्राथमिकताओं के साथ। वह जानता है कि उसका सबसे क़ीमती Asset उसका समय है।

वेल्थ हैबिट्स का मतलब सिर्फ़ पैसे को संभालना नहीं है। इसका मतलब है अपने माइंड को डिसिप्लिन करना, अपने इमोशंस पर कंट्रोल रखना, और हर दिन थोड़ा बेहतर बनना। चाहे वह डेली बजटिंग हो, रेगुलर सेविंग हो, स्किल लर्निंग हो, या अपने गोल्स को बार-बार रिव्यू करना हो।

ये सभी छोटी-छोटी आदतें Compound होती हैं, और समय के साथ Massive Results देती हैं।

मिलियनेयर बनने की सबसे बड़ी ट्रिक यही है: छोटा सोचना छोड़ दो, कंसिस्टेंसी से काम करो, और डिसिप्लिन को अपना लाइफ़स्टाइल बना लो।

अगर आप रोज़ाना 1% या 8% सुधार करते हैं, तो साल के अंत तक आप कई गुना बेहतर इंसान बन जाते हैं। यह कंपाउंडिंग का गणित है।

अमीर लोग Impulsive Decisions नहीं लेते। वह Calculate करते हैं, सोचते हैं, और लॉन्ग टर्म वैल्यू पर ध्यान देते हैं।

वे हर खर्च को एक इन्वेस्टमेंट की नज़र से देखते हैं: "क्या यह खर्च मेरी ज़िंदगी बेहतर बनाएगा? क्या यह डिसिज़न मुझे मेरे फ़ाइनेंशियल गोल के क़रीब ले जाएगा?"।

यही फ़र्क तय करता है कि कोई मिडिल क्लास में फँस जाएगा या मिलियनेयर बनकर आज़ादी की ज़िंदगी जिएगा।

याद रखो, जो पैसा आपकी आदतों में है, वही आपके फ़्यूचर में होगा। अगर आपकी डेली हैबिट्स एवरेज हैं, तो आउटकम भी एवरेज होगा। लेकिन अगर आपकी हैबिट्स एक्स्ट्राऑर्डिनरी हैं, तो सक्सेस भी गारंटीड है।

आज से अपने हर दिन को एक इन्वेस्टमेंट की तरह ट्रीट करो। हर सुबह उठकर खुद से पूछो: "क्या आज मैं उस इंसान की तरह जी रहा हूँ, जो मैं बनना चाहता हूँ?"।

क्योंकि मिलियनेयर बनना एक दिन का गेम नहीं है। यह रोज़ की आदतों से तैयार होती एक Strong Identity है। और जब आइडेंटिटी बदलती है, तो Destiny अपने आप बदल जाती है।


Conclusion:

तो दोस्तों, यह थी "From Zero to Millionaire" की जर्नी। एक ऐसी जर्नी जहाँ कोई नाम नहीं था, पैसा नहीं था, रिसोर्सेज़ नहीं थे। लेकिन फिर भी, एक इंसान मिलियनेयर बना, क्योंकि उसके पास था एक माइंडसेट जो हालात से बड़ा था।

इस किताब ने हमें सिखाया कि अमीरी कोई Magic Trick नहीं, बल्कि माइंडसेट, हैबिट्स और कंसिस्टेंट एक्शन्स का रिज़ल्ट है। ज़ीरो से शुरू करना कोई कमज़ोरी नहीं, बल्कि वह एक ऐसा मौक़ा है जहाँ से आप खुद को पूरी तरह बदल सकते हो।

आपने जाना:

  • कैसे सोच बदलने से किस्मत बदलती है।

  • कैसे Clear Goals आपकी ज़िंदगी को दिशा देते हैं।

  • कैसे सेविंग और इन्वेस्टिंग से पैसे को आपके लिए काम पर लगाया जा सकता है।

  • और कैसे Daily Habits आपको मिलियनेयर बनाने की नींव रखती हैं।

अब सवाल यह नहीं है कि यह पॉसिबल है या नहीं। सवाल सिर्फ़ इतना है: क्या आप तैयार हो उस सफ़र के लिए?।

आपके पास अब वह सब कुछ है जो चाहिए। अब बस एक फ़ैसला चाहिए—शुरुआत का फ़ैसला।

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क्योंकि यहाँ हर किताब आपको वह नज़रिया देती है जो आपकी सोच बदल सकता है, और सोच बदलते ही सब कुछ बदल जाता है।

अब ज़ीरो को पीछे छोड़ो, और अपनी मिलियनेयर जर्नी शुरू करो!

हम फिर मिलेंगे एक और ज़बरदस्त किताब के साथ। तब तक याद रखो: सोच बदलो, ज़िंदगी बदल जाएगी!

धन्यवाद!



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